scriptकही दरारें तो कही की सीलिंग से उखड़ कर गिर रहा प्लास्टर, टाइल्स भी हुए छतिग्रस्त | If there are cracks, plaster is falling from the ceiling of some place | Patrika News

कही दरारें तो कही की सीलिंग से उखड़ कर गिर रहा प्लास्टर, टाइल्स भी हुए छतिग्रस्त

locationसागरPublished: Feb 20, 2021 11:37:32 pm

डॉ हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय में 2 साल पहले बनी महर्षि कणाद भवन का मामला
 

कही दरारें तो कही की सीलिंग से उखड़ कर गिर रहा प्लास्टर, टाइल्स भी हुए छतिग्रस्त

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सागर. डॉ हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय में बने भवनों के रख रखाव को लेकर विवि प्रशासन कोई ध्यान नही दे रहा है। वही बनाए गए भवन भी महज दो साल में घटिया निर्माण की कलीई खोलने लगे है। विवि के महर्षि कणाद भवन की बात करे तो यह भवन महज दो साल में ही जर्जर होने लगा है। जगह-जगह दीवारों पर दरारें नजर आने लगी है। कई जगहों पर लगे टाइल्स उखड़े पड़े हैं। भवन में बने टॉयलेट भी जर्जर हालत में है।

इधर, अंदर बने कुछ कक्ष की सीलिंग से प्लास्टर भी आए दिन उखड़कर गिर रहा है। हैरानी की बात यह है कि इसके बावजूद भी विश्वविद्यालय प्रशासन ना तो इनका रखरखाव करा रहा है और ना ही संबंधित निर्माण एजेंसी को मरम्मत के लिए निर्देशित कर रहा है।

-8 करोड़ की लागत से बना था भवन

इस भवन का निर्माण करीब 8 करोड़ की लागत से हुआ था। जानकारी के मुताबिक 15 जनवरी 2019 को इस भवन का लोकार्पण यूजीसी के चेयरमेन प्रो डीपी सिंह द्वारा किया गया था। हालांकि कुछ दिन बाद से ही अंदर और बाहर की दीवारों पर दरारें नजर आने लगी थी, जिसकी आनन-फानन में मरम्मत कराई गई थी।

-साइंस कोर्स की लगती है कक्षाएं

इस भवन में अभी साइंस कोर्स के बच्चों की कक्षाएं लगती हैं। यह लेक्चर भवन की तरह है। विश्वविद्यालय में होने वाली परीक्षाएं भी इसी कारण भवन में ही कराई जाती है, लेकिन रखरखाव की ना होने से यह भवन जर्जर हो रहा है। बताया जाता है कि यह निर्माण सीपीडब्ल्यूडी द्वारा कराया गया था। मेंटेनेंस अवधि एक साल की थी, जो पूरी हो चुकी है।

 

यह काम इंजीनियरिंग विभाग का है। यदि भवन की हालत खराब हो रही है, तो मैं दिखवा लेता हूँ।

संतोष सोहगौरा, कुलसचिव

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