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एक कदम भी चूके तो काल के गाल में समां सकते हैं यात्री, प्लेटफॉर्म से सटकर चल रहा काम लेकिन नहीं की बैरीकेडिंग

locationसागरPublished: Jul 07, 2020 08:01:34 pm

Submitted by:

anuj hazari

मालखेड़ी स्टेशन पर बड़ी लापरवाही आई सामने

If you miss even a step, the passengers can sit on the cheek of time, the work going on close to the platform but not barricading

If you miss even a step, the passengers can sit on the cheek of time, the work going on close to the platform but not barricading

बीना. वर्तमान में रेलवे से जुड़े जितने भी काम चल रहे हैं उनमें अधिकारियों की गंभीरता नहीं होने के कारण लोगों को जान का खतरा बना हुआ है। मालखेड़ी स्टेशन पर भी कुछ ऐसे ही हाल हैं जहां पर नई बिल्ंिडग के लिए चल काम अधूरा होने से यदि यात्री एक कदम भी संभलने में चूक गया तो वह काल के गाल में समां सकता है, लेकिन इसमें मंडल या संबंधित स्टेशन के अधिकारियों द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। गौरतलब है कि करीब डेढ़ वर्ष पहले मालखेड़ी स्टेशन को मॉडल स्टेशन के रूप में डेवलप करने के लिए नई बिल्ंिडग बनाने का प्रोजेक्ट आया था। इस काम को करने वाले ठेकेदार ने शुरूआत से ही धीमी गति से काम शुरू किया और बिल्ंिडग का काम आज तक पूरा नहीं हो सका। एक नंबर प्लेटफॉर्म पर प्लेटफॉर्म से सटकर ही बिल्ंिडग बनाई जानी है, जिसमें ठेकेदार ने गहराई से खुदाई कराई, सरिया निकले हुए हैं, लेकिन उसे चारों तरफ से बैरीकेड नहीं किया है। जबकि वर्तमान में यहां पर जबलपुर से ह.निजामुद्दीन जाने वाली गोंडवाना एक्सप्रेस चल रही है। यदि यहां पर किसी भी प्रकार की गलती टे्रन से उतरने के बाद यात्री से होती है तो उसकी इस गड्ढे में गिरने से मौत हो सकती है। कुछ दिनों पहले यहां पर जीएम भी विंडो निरीक्षण करते हुए निकले थे और कुछ महीनों पहले डीआरएम ने भी निरीक्षण किया था, लेकिन किसी का भी ध्यान ठेकेदार की इस लापरवाही पर नहीं गया है। यहां पर प्लेटफॉर्म पर खड़े होने के लिए महज पांच से सात फीट जगह ही बाकी बची है। स्थानीय अधिकारी भी मंडल में इसे लेकर कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं। चूंकि यह स्टेशन जबलपुर मंडल में आता है इसलिए ठेकेदार व स्थानीय अधिकारी भी किसी भी कार्रवाई को लेकर बेफ्रिक रहते है।
बुकिंग ऑफिस और पेनल रूम होना है तैयार
यहां पर सालों से बुङ्क्षकग ऑफिस और पेनल रूम की जरूरत होने के बाद भी काम नहीं किया जा रहा था। लंबे समय बाद काम शुरू किया भी गया तो ठेकेदार ने काम में रुचि नहीं ली, जिससे काम अधूरा है।

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