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बदहाल प्राथमिक स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत जान हैरान रह जाएंगे आप

locationसागरPublished: Jun 15, 2018 07:09:10 pm

पिछले कई सालों से यहां पर डॉक्टरों की नियुक्तियां भी नहीं हुई हैं।

Impoverished health services

Impoverished health services

सागर. जिले में तीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अथवा पीएचसी डॉक्टर विहीन हैं। यहां पर डॉक्टर ज्वाइन तो करते हैं, लेकिन चार से पांच महीने में ही नौकरी छोड़कर चले जाते हैं। पिछले कई सालों से यहां पर डॉक्टरों की नियुक्तियां भी नहीं हुई हैं। छुल्ला, पटौआ और चकेरी बिनेका प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ताला जड़ा हुआ है। डॉक्टर, वार्ड बॉय और नर्सिंग स्टाफ नहीं है। इस वजह से बीमार पडऩे पर मरीज या तो झोलाछाप डॉक्टर के पास जाते हैं, या फिर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का रुख करते हैं। स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ यह कहकर अपने कर्तव्यों से पल्ला झाड़ लेते हैं कि डॉक्टर नहीं रुकते तो क्या करें? जिले में २८ पीएचसी हैं, बाकी अन्य में डॉक्टर होने के बाद भी मरीज झोलाछाप के भरोसे हैं। क्योंकि अधिकांश में महीने में १५ दिन ताला ही जड़ा रहता है।
जहां हैं, वहां तैनात नहीं रहते डॉक्टर
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वीकृत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बदहाल हैं। यह जो डॉक्टर तैनात हैं वे अपनी मर्जी और उनकी प्रैक्टिस आधार पर सेवाएं देते हैं। मोटे तौर पर जिले में २८ पीएचसी हैं। यहां पर २५ जगहों पर १-१ डॉक्टर तैनात हैं। जानकारी के अनुसार कई में डॉक्टर महीने में १५ दिन ही जाते हैं। कई डॉक्टर सागर में रहकर अपडाउन करते हैं। एेसे में मरीजों का उपचार सिर्फ और सिर्फ झोलाछाप या फिर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर होता है।
नदारद रहने वालों पर कार्रवाई नहीं
पीएचसी में नदारत रहने वाले डॉक्टरों के खिलाफ सीएमएचओ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। इस वजह से इनके हौसले भी बुलंद हैं। शासन के आदेश के बाद जब भी सीएमएचओ पीएचसी का निरीक्षण करने के लिए जाते हैं तो डॉक्टरों को इसकी भनक लग जाती है। और उस दौरान वे वहां मिल जाते हैं। या फिर कोई बहाना बना देते हैं। एेसे में व्यवस्था में सुधार नहीं हो पा रहा है।
आयुर्वेद और होम्यो को तरस रहे ग्रामीण
आरबीएसके द्वारा आयुर्वेद और होम्योपैथिक डॉक्टरों की भी इन जगहों पर नियुक्तियां की गई हैं, लेकिन यह भी इन जगहों पर अपनी सेवाएं नहीं दे रहे हैं। मुख्यालय पर रहकर अपडाउन करके कभी कभार ही पीएचसी जाते हैं। यहां पर शासन द्वारा पर्याप्त दवाएं भी उपलब्ध कराई जाती हैं, लेकिन दवाओं का उपयोग न होने से इन्हें चोरी छिपे जला दिया जाता है। एेसे भी कई मामले सामने आ चुके हैं।
अधिकांश आबादी झोलाछाप के भरोसे
रहली क्षेत्र के छुल्ला, राहतगढ़ क्षेत्र के पटौआ और बंडा क्षेत्र में आने वाले चकेरी बिनेका गांव में कई महीनों से डॉक्टर नहीं हैं। वैसे तो एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र २० हजार की आबादी के बीच बनाया जाता है, लेकिन जिलें में आबादी कम होने के बाद भी इन गांवों में जरूरत के हिसाब से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोले गए हैं, लेकिन जब से यह खुले हैं तब से अभी तक यहां पर कोई भी डॉक्टर ज्यादा दिनों तक नहीं टिका है। दो से ढाई हजार की आबादी वाले इन गावों में ग्रामीण झोलाछाप
डॉक्टरों के भरोसे हैं।

तीन पीएचसी में डॉक्टर नहीं हैं। यहां पर जल्द डॉक्टरों की नियुक्तियां की जाएंगी। जहां तक अन्य पीएचसी की बात है तो सभी डॉक्टरों को नियमित रूप से तैनात रहने के निर्देश हैं। यदि शिकायत मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी। – डॉ. इंद्राज सिंह, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी

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