सागरPublished: Jul 25, 2021 08:06:27 pm
sachendra tiwari
बाजार से महंगे दामों पर खरीदने मजबूर
Increased demand for pesticides and weedicides
बीना. बारिश के बाद खरीफ फसल लहलहा उठी हैं और अब किसान कीटनाशक, खरपतबार नाशक दवाओं का छिड़काव करने लगे हैं। कुछ वर्षों पूर्व तक कृषि विभाग से कीटनाशक दवाएं अनुदान पर मिलती थीं, लेकिन अब दवाएं मिलना बंद हो गई हैं और किसान बाजार से महंगे दामों पर खरीदने मजबूर हैं।
पहले खेतों की खरपतबार खत्म करने के लिए मजदूरों से निदाई कराई जाती थी, लेकिन अब यह कार्य दवाओं से होने लगा है। इसके लिए बाजार में कई कंपनियों की महंगी दवाएं उपलब्ध हैं। किसान हजारों रुपए की दवा बाजार से खरीद रहे हैं। वहीं फसल में कीटों को कम करने के लिए भी कीटनाशक दवाएं डाली जा रही हैं और यह दवाएं पहले कृषि विभाग से अनुदान पर मिलती थी, लेकिन अब यह योजना बंद कर दी है। विभाग से मिलने वाली दवाएं प्रमाणित होती थीं और रुपए भी कम लगते थे। बाजार में कई कंपनियों की दवाएं मिल रही हैं और इनका कितना असर होगा इसकी भी जानकारी नहीं रहती है। कई बार यह दवाएं फसलों को प्रभावित भी कर देती हैं। इसके बाद भी कृषि विभाग द्वारा दवाओं का सैम्पल लेने में देरी की जाती है।
करीब पचास हजार हेक्टेयर में हुई है बोवनी
इस वर्ष सोयाबीन, उड़द, धान, मूंग, मक्का की बोवनी क्षेत्र में करीब पचास हजार हेक्टेयर में हुई है। सोयाबीन और उड़द में दवाओं का प्रयोग ज्यादा मात्रा में किया जाता है।