कोई पड़ोसी के साथ ऑफिस जा रहा तो किसी ने बंद किया कार का एसी
ईंधन के कारण बाइक, कार, टैक्सी सहित अन्य वाहनों का व्यवसायिक उपयोग करने वाले लोगों से पत्रिका ने बात की।

सागर. पेट्रोल, डीजल के दामों में हो रही बढ़ोतरी के कारण लोगों का बजट बिगड़ रहा है। खर्च बचाने के लिए कोई साथी के साथ आ-जा रहा है तो कोई एसी बंद करके कार चलाने को मजबूर है। कई लोगों ने तो इसके कारण वाहन का उपयोग ही कम कर दिया है। आज से ६ माह पहले जहां शहर में डीजल ६२ रुपए और पेट्रोल ७४ रुपए था, वहीं अब पेट्रोल ८० और डीजल ७० रुपए के पार हो गया है। ईंधन के कारण बाइक, कार, टैक्सी सहित अन्य वाहनों का व्यवसायिक उपयोग करने वाले लोगों से पत्रिका ने बात की।
गाड़ी के सही माइलेज के लिए उसे एक स्पीड में चलाना चाहिए। बाइक को ४० व कार को ८० से अधिक स्पीड में न चलाएं। सर्विसिंग और एसी का उपयोग कम करने से सही एवरेज मिलेगा। बाबू मिस्त्री
मेरा गांव शहर से २० किलो मीटर दूर है। रोज बाइक से आना-जाना करता हूं। पहले १०० रुपए का पेट्रोल डलवाता था, जो २-३ दिन चल जाता था, लेकिन अब लगभग हर दिन पेट्रोल डलवाना पड़ता है।
हरिओम बबोरया, बाइक
पेट्रोल महंगा होने के कारण बाइक का उपयोग कम करता हूं। रास्ते में ही रहने वाले ऑफिस के एक अन्य साथी के साथ ऑफिस आ जाता हूं। कभी वह बाइक ले आता है, कभी मैं अपनी बाइक से उसे ले आता हूं।
रोमिल जैन, बाइक चालक
गर्मी अधिक होने के कारण कार से ऑफिस आना-जाना करता हूं। एसी में पेट्रोल ज्यादा लगता है, इसलिए एसी का उपयोग कम करता हूं। पहले कार में ३ सौ रुपए का पेट्रोल १ सप्ताह चलता था, अब ५ दिन ही चलता है।
बलराम दुबे, शिक्षक
मैं डीजल कार का उपयोग करता हूं। डीजल महंगा होने के कारण पहले मैं कहीं भी कार से अकेले चला जाता था, लेकिन अब प्रयास करता हूं कि एक दो लोग और मिले तो कंट्रीब्यूशन में गाड़ी ले कर चले जाते हैं।
ब्रह्मदत्त पांडेय, अधिवक्ता
गढ़ाकोटा से सागर तक अपनी जीप से सवारियां ढोता हूं। पहले ७ सौ रुपए में एक ट्रिप लग जाता था, लेकिन अब ९ सौ का डीजल लग रहा है। प्रतिदिन जहां टैक्सी में ५ सौ रुपए की कमाई होती थी, अब घट गई है।
बलराम सेन, टैक्सी चालक
देवरी से सागर के लिए टैक्सी चलाता हूं। डीजल के रेट बढऩे और किराया न बढऩे के कारण अब कमाई कम हो रही है। साथ के कई लोगों ने तो इस समय टैक्सी चलाना ही छोड़ दिया है। रास्ते में टोल भी देना होता है।
सलीम, टैक्सी चालक
पहले सौ रुपए का डीजल दिनभर चल जाता था, अब डेढ़ सौ रुपए का डलवाना पड़ता है। माल किराए से ही तेल का पैसा निकालना पड़ रहा है। लेकिन कॉम्पटीशन के कारण वह भी मुश्किल हो रहा है।
प्रदीप रजक, माल वाहक चालक
तेल का रेट इतना बढ़ गया है कि इसकी किश्त निकालना भी कठिन हो रहा है। ग्राहक ज्यादा पैसा भी नहीं देता है। एेसे में कमाई तो अब मेहनत के पैसे भी नहीं मिल पा रहे हैं।
अनुराग सिंह ठाकुर, माल वाहक चालक
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