अपने मन को अनुकूल बनाकर होगी समयसार की प्राप्ति : मुनि सुधासागर
भाग्योदय में धर्मसभा में मंगलवार को निर्यापक मुनि सुधा सागर ने कहा कि जो मन हमारा है, वही हमारे अनुकूल नहीं हो रहा है और हम दुनिया के संबंध में सोचते हैं कि दुनिया वही सोचे, जो मैं सोच रहा हूं। उन्होंने कहा कि नीति कहती है पहले ये निर्णय तुम अपने मन से कराओ कि मन वही सोचेगा जो तुम सोचना चाहते हो।
भाग्योदय में धर्मसभा सागर. भाग्योदय में धर्मसभा में मंगलवार को निर्यापक मुनि सुधा सागर ने कहा कि जो मन हमारा है, वही हमारे अनुकूल नहीं हो रहा है और हम दुनिया के संबंध में सोचते हैं कि दुनिया वही सोचे, जो मैं सोच रहा हूं। उन्होंने कहा कि नीति कहती है पहले ये निर्णय तुम अपने मन से कराओ कि मन वही सोचेगा जो तुम सोचना चाहते हो। जो अपने मन को अपने अनुकूल नहीं बना पाया, वो दुनिया को मन के अनुकूल बनाना सिर से पहाड़ फोडऩे के समान है। हम स्वतंत्र होकर न हंस पा रहे हैं, न रो पा रहे हैं। कुंदकुंद भगवान इसी बात की प्रेरणा देते हैं तुम्हारा मन, तुम्हारी इन्द्रियां, तुम्हारा ज्ञान, तुम्हारे अनुसार चलने लग जाए उस दिन तुम समयसार को प्राप्त कर लोगे। मुनि ने कहा कि इच्छा है तो हम बहुत कर लेते हैं, कितनी पूरी कर पाओगे। हर व्यक्ति अधूरा जागता है और अधूरा सोता है। 99 प्रतिशत लोग अतृप्त होकर मरते है, मरते समय भी कहेंगे एक और काम बाकी है। वहीं जब साधु की समाधि होती है जो मरने के पहले कह देता है, बस मुझे जो करना था, वो सब कुछ कर लिया। जो देखना था देख लिया, अभी सुनना था सुन लिया। यमराज आ जाये तो कहता है चलो। मरते समय इच्छा करना यही तो अपराध है और मरते समय कृतकृत्य होकर मरना यही समयसार है। कभी भी मौत आ जाए, एक्सीडेंट हो जाये, शेर आ जाये, प्रतिक्षण मैं कृतकृत्य हूं। रात में कृतकृत्य होकर सोओ, शाम को घर लोटो, कृतकृत्य होकर लोटो, ये शगुन है, शुभ है। निकलते समय तो बहुत शगुन करते हो तिलक लगाना, कोई अच्छा शब्द बोल देता है, ये लोक व्यवहार है और समयसार कहता है कि जब तुम अंदर आ रहे हो तब शगुन होना चाहिए।
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