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जन्माष्टमी पर बन रहा रोहणी नक्षत्र का संयोग

locationसागरPublished: Aug 20, 2019 08:12:06 pm

23 को जन्मेंगे कन्हैया

सागर. भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव शहर में धूमधाम से मनाया जाएगा। भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अर्धरात्रि रोहिणी नक्षत्र में भगवान का प्राकट्य हुआ था। भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था, कृष्ण जन्म के समय रोहिणी नक्षत्र था। सूर्य सिंह राशि में तो चंद्रमा वृषभ राशि में था। इसलिए जब रात में अष्टमी तिथि हो उसी दिन जन्माष्टमी का व्रत करना चाहिए। चूंकि 23 अगस्त को अष्टमी की रात और रोहिणी नक्षत्र भी है लिहाज़ा सभी को इसी दिन जन्माष्टमी का व्रत करना है। पंचांग भेद के कारण कहीं कही 24 को वैष्णव संप्रदाय व संन्यासी व्रत रखेंगे क्योंकि वैष्णव संप्रदाय उदयकालीन अष्टमी के दिन व्रत करते हैं और ये गोकुलष्टमी व नंदोत्सव मनाते हैं ना कि जन्माष्टमी। यानि वैष्णव नंद के घर लल्ला होने का जश्न मनाते हैं। लेकिन 24 अगस्त को उदयकालीन अष्टमी है ही नहीं अत: स्मार्त और वैष्णव दोनों को 23 को ही जन्माष्टमी मानना चाहिये।

जन्माष्टमी पर बन रहा है शुभ योग

पंडित शिवप्रसाद तिवारी के अनुसार अगर भाद्रपद महीने की अष्टमी की रात रोहिणी नक्षत्र हो वह तिथि जन्माष्टमी अर्थात कृष्ण प्रकटोत्सव घड़ी कहलाती है। इस बार ये शुभ संयोग बन रहा है। 23 अगस्त शुक्रवार की रात अष्टमी तिथि रहेगी और रोहिणी नक्षत्र भी लग चुका होगा। अत: 23 को ही जन्माष्टमी मानना शास्त्र सम्मत है। तिथि नक्षत्र के अलावा ध्रुव और छत्र योग भी साथ रहेंगे।


जन्माष्टमी का तिथि नक्षत्र संयोग

अष्‍टमी तिथि प्रारंभ – 23 अगस्‍त को सूर्योदय काल से।
अष्‍टमी तिथि समाप्‍त – 24 अगस्‍त को देर रात्रि 2 बजकर 53मिनट तक।

रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ- 24 अगस्‍त को रात्रि 11 बजकर 48 मिनट से।
रोहिणी नक्षत्र समाप्‍त – 25 अगस्‍त को रात्रि 12 बजे

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