script16 से शुरू हो रहे हैं खरमास, विवाह के साथ शुभ कार्यों पर लगेगा विराम | Kharmas marriage auspicious functions from 16 December | Patrika News

16 से शुरू हो रहे हैं खरमास, विवाह के साथ शुभ कार्यों पर लगेगा विराम

locationसागरPublished: Dec 08, 2019 03:35:35 pm

Submitted by:

manish Dubesy

16 से शुरू हो रहे हैं खरमास, विवाह के साथ शुभ कार्यों पर लगेगा विराम

16 से शुरू हो रहे हैं खरमास, विवाह के साथ शुभ कार्यों पर लगेगा विराम

16 से शुरू हो रहे हैं खरमास, विवाह के साथ शुभ कार्यों पर लगेगा विराम

13 दिसंबर से शुरू होगा पौष का महीना
सागर. 13 दिसंबर दिन शुक्रवार से पौष का महीना शुरू होगा। वहीं १६ दिसंबर से से खरमास शुरू होगा। हिन्दू घर्म शास्त्रों के अनुसार जब भी सूर्य गुरु की राशि धनु या मीन राशि में प्रवेश करता है, उस अवधी को खरमास या खलमास कहा जाता है। जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है तो उसे धनु सक्रांति कहा जाता है। इस एक माह की अवधी में कोई भी शुभ मांगलिक कार्य करने की मनाही शास्त्रों में बताई गई है।
पं. शिवप्रसाद तिवारी ने बताया कि १६ दिसंबर को सुबह सूर्योदय के साथ ही शुरू हो जाएगा। खरमास में सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेगा और सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही खरमास या मलमास प्रारंभ हो जाएगा। यह खरमास पूरे एक माह तक 14 जनवरी तक धनु में रहेगा। इस अवधी में कोई भी शुभ मांगलिक धार्मिक आयोजन जैसे- विवाह, नए घर में गृह प्रवेश, नए वाहन की खरीदी, संपत्तियों का क्रय विक्रय करना, मुंडन संस्कार जैसे अनेक शुभ कार्यों को इस एक माह तक नहीं किया जाएगा। 14 जनवरी 2020 को जब सूर्य, मकर राशि में प्रवेश करेगा उसी के साथ खरमास समाप्त हो जाएगा।
बसंत पंचमी पर अच्छा विवाह मुहूर्त: देवउठनी एकादशी से लेकर मार्च मध्य तक एक माह की रोक के बाद 32 दिन ऐसे हैं जिनमें विवाह का योग है। इसमें सबसे अधिक विवाह का योग फरवरी में हैं। बसंत पंचमी से जो विवाह मुहूर्त हैं, उनमें 28 फरवरी तक 14 ऐसे हैं जिसमें दिन या रात के वक्त विवाह हो सकते हैं। जिनके विवाह किसी कारण रुके हैं ऐसे यजमान शिथिल मुहूर्त को अपनाकर विवाह कर सकते हैं।
शुभ कार्य वर्जित
ज्योतिषाचार्य ने बताया इन दिनों दिन छोटे और रात बड़ी होती है। सूर्य की ऊर्जा का प्रभाव पृथ्वी पर बहुत कम रहता है। ग्रह-नक्षत्रों पर भी इसका विपरीत असर पडऩे के कारण प्राचीन परंपराओं को मानकर लोग इन दिनों में शुभ एवं मांगलिक कार्य नहीं करते। मकर संक्रांति पर सूर्य के उत्तरायण होने के साथ ही शुभता की शुरुआत मानी जाती है।

 

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