किचकिची फूल के बारे में जानें
मडिय़ादो बफर के आसपास रहने वाले इस फूल को किचकिची फूल कहते है। किचकिची फूल काफी आकर्षित और सुंदर फूल हैं। किचकिची भी आम फूलों के तरह ही होता है। फर्क सिर्फ इतना है कि किचकिची का पौधा कोई भी व्यक्ति अपने घरों में नहीं लगाता है। किचकिची फूल आमतौर पर जंगल में ही पाए जाते है। किचकिची फूल की खुशबू भी बेहतर है। लाल और पीले रंग की इस फूल की पंखुड़ी होती है, जो दूर से देखने पर किसी अग्नि की सिंबल की तरह नजर आती है।
कैसे घर में झगड़ा कराता है किचकिची का फूल, क्या है मान्यता
मडिय़ादो में रहने वाले रामा बंजारा बताते है कि किचकिची का फूल जंगल में भारी तादाद में होता है। रामा बंजारा के अनुसार उनके दादा-पिता बताते थे कि किचकिची का फूल अगर घर के आसपास भी दिखे तो उसे तत्काल अलग कर दो, नहीं तो घर में झगड़ा हो सकता है। अनेक बार यह फूल गांव में पड़े हुए भी देखे गए और वहां झगड़ा होने के उदाहरण भी देखे गए हैं। फूल के बारे में रामा बताते है कि इस फूल का नाम किचकिची का फूल भी इसीलिए रखा गया, क्योंकि यह किचकिच यानि झगड़ा कराता है।दवा बनकर दर्द भी दूर करता है किचकिची का फूल
किचकिची का फूल भले ही झगड़ा कराने वाले फूल के नाम से प्रचलित हो, लेकिन यह दवा का काम भी करता है। मडिय़ादो क्षेत्र में भी अपनी सेवाएं दे चुके रिटायर्ड डॉ. एनबी खरे बताते है कि चरक संहिता के अनुसार किचकिची के पौधे को कलिहारी के नाम भी जाना जाता है। किचकिची के पौधे के फल और फूल का उपयोग जोड़ों के दर्द, मस्कुलर पेन आदि में किया जाता है। जिसके लाभकारी परिणाम भी सामने आए है।