एनजीटी ने जिला व नगर निगम प्रशासन को ये निर्देश दिए
- कलेक्टर सागर को आदेशित किया है कि झील में जो अतिक्रमण है उसे कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए हटाया जाए। कलेक्टर उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के हिसाब से काम करें।
- कलेक्टर सागर और नगर निगम सागर को यह सुनिश्चित करें कि तालाब में कोई ठोस कचरा न फेंके और यदि यह पाया जाता है तो ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम-2016 का उल्लंघन माना जाएगा। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार आवश्यक कार्रवाई करने, अभियोजन शुरू करने के साथ-साथ पर्यावरण मुआवजे की गणना और वसूली के लिए निर्देशित किया जाता है।
- कलेक्टर सागर और नगर निगम सागर यह सुनिश्चित करें कि झील में सीवरेज का दूषित पानी तो नहीं छोड़ा जा रहा है। ऐसी स्थिति होने पर झील के पास एसटीपी का निर्माण करें।
वर्तमान में सिर्फ अतिक्रमण ही बची समस्या
लाखा बंजारा झील में अब नालों का दूषित पानी नहीं मिल पाएगा। स्मार्ट सिटी योजना के तहत नाला ट्रेपिंग का काम किया जा रहा है। वहीं सीवर प्रोजेक्ट के तहत घरों से निकलने वाला दूषित पानी अब सीधे सीवर नेटवर्क के जरिए शहर के बाहर भेजा जाएगा जिसके कारण झील प्रदूषित होने से बच जाएगी। वर्तमान में झील किनारे अतिक्रमण का मुद्दा ही शेष रह गया है वह भी सालों से अफसरों की इच्छाशक्ति की कमी के कारण टलता आ रहा है।