-मरीजों की संख्या की ९० फीसदी हुई कम
कोरोना की दहशत इस तरह बन चुकी है कि लोग घरों से बाहर निकलने से डर रहे हैं। इसका अंदाजा जिला अस्पताल में आज हुए मरीजों की पंजीयन से लगाया जा सकता है।जिला अस्पताल में दिन भर में महज २७० मरीज इलाज कराने के लिए पहुंचे। इनमें ४० फ़ीसदी महिलाएं थी और यह महिलाएं डिलीवरी से संबंधित थी। हालांकि अंचलों से मरीजों के सागर आना बंद हो गया है। बसे ना चलने के कारण मरीज गांव में झोलाछापों से इलाज कराने मजबूर हैं।
-सर्दी जुकाम के मरीजों के लिए नहीं अलग ओपीडी
जिला अस्पताल में सर्दी जुखाम और तेज बुखार के मरीजों के लिए अलग से ओपीडी नहीं बनाई गई है। पर्ची काउंटर के बाजू में शुरू की गई ओपीडी में मौजूद डॉक्टर सभी प्रकार की मर्ज वाले मरीजों का इलाज कर रहे हैं। सर्दी जुकाम से पीड़ित मरीजों के छींकने और खांसने से अन्य कतार में खड़े मरीजों में संक्रमण फैलने की आशंका बनी हुई है। हालांकि मेडिकल कॉलेज में अलग से ओपीडी शुरू की गई थी, लेकिन अब वहां पर उपचार सुविधाएं बंद होने से जिला अस्पताल में इलाज किया जा रहा है। प्रबंधन को चाहिए कि सर्दी जुखाम के मरीजों के लिए अलग से ओपीडी शुरू की जाए।
जिला अस्पताल में सभी डॉक्टरों को मरीजों का इलाज करना है। यदि डॉक्टर नही बैठ रहे हैं, तो गंभीर बात है। मैं सिविल सर्जन और अधीक्षक से बात करता हूँ।
डॉ जीएस पटेल, डीन बीएमसी