scriptयहां कानून में उलझे अधिकारी उधर अादतन अपराधियों की इस तरह हो रही मस्ती | Law abiding officer in law Unbeaten culprit | Patrika News

यहां कानून में उलझे अधिकारी उधर अादतन अपराधियों की इस तरह हो रही मस्ती

locationसागरPublished: Aug 09, 2018 09:38:39 am

Submitted by:

sunil lakhera

सामाजिक कानून व्यवस्था प्रभावित

Law abiding officer in law Unbeaten culprit

Law abiding officer in law Unbeaten culprit

सागर. आमतौर पर भले ही सीआरपीसी की कुछ धाराओं को सामान्य समझा जाता हो, लेकिन उनके कानूनी प्रावधान काफी सख्ती भरे हैं। आदतन-निगरानी बदमाश जो अकसर कानून का उल्लंघन करते हैं। इन धाराओं की बंदिश लगाकर उन्हें सबक सिखाया जा सकता है, लेकिन मामूली से उलझन व अरुचि के चलते थाना स्तर पर पुलिस अधिकारी इन्हें अमल में लाने से झिझकते हैं।
यही वजह है कि जिले में बीते तीन साल में सीआरपीसी की कुछ धाराओं का या तो उपयोग ही नहीं किया गया या फिर इक्का-दुक्का कार्रवाई की गई हैं।
यह धाराएं सिखाती हैं सबक
सीआरपीसी (क्रिमिनल प्रोसीजर कोड) में प्रतिबंधात्मक धाराओं के साथ ही कई सख्ती भरे प्रावधानों को रखा गया है। आदतन अपराधी, निगरानी बदमाश जिनके कारण सामाजिक कानून व्यवस्था प्रभावित होती है। एेसे असामाजिक तत्वों के विरुद्ध पुलिस द्वारा की जाने वाली प्रतिबंधात्मक कार्रवाई 110-107-116 का उल्लंघन करने पर उन्हें बाउंड ओवर कराते हुए सीआरपीसी की धारा 122 या 108 से दण्डित किया जाता है।
बाउंड का उल्लंघन करने पर भेजा जाता है जेल
पुलिस सूत्रों के अुनसार धारा 110 की प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का उल्लंघन कर कानून और शांति व्यवस्था को नुकसान पहुंचाते हैं। उनके विरुद्ध सीआरपीसी की धारा 122 में बाउंड ओवर की कार्रवाई की जाती है। बाउंड ओवर करने के बाद भी यदि वे उल्लंघन करते हुए तो सीधे उतनी अवधि के लिए जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया जाता है जितनी अवधि के बाउंड ओवर का उल्लंघन किया है।
तीन साल में जिले में सिर्फ एक कार्रवाई
करीब दर्जन भर आपराधिक मामलों में आरोपी और धारा 110 की प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का उल्लंघन करने वाले एक बदमाश के विरुद्ध कैंट थाना पुलिस द्वारा सीआरपीसी की धारा १२२ के तहत बाउंड ओवर कराने की तैयारी की जा रही है। सीआरपीसी 122 के तहत यह इकलौती कार्रवाई है जो तीन साल में जिले के किसी थाने द्वारा की गई है। जितनी अवधि के लिए बाउंड ओवर किया जाएगा बदमाश को उसका पालन न करने पर उतना ही समय सलाखों के पीछे बिताना पड़ेगा। यही नहीं मजिस्ट्रेट द्वारा घोषित की जाने वाली राशि भी जुर्माने के तौर पर जमा करानी होगी। सीआरपीसी 122 के इन्हीं सख्त प्रावधानों के चलते बदमाश इससे घबराते हैं।
इधर, 108 की कार्रवाई में भी नहीं दिलचस्पी
पुलिस थानों में असामाजिक तत्वों को आदतन और निगरानी बदमाशों के रूप में पुलिस रिकॉर्ड में चिन्हित करके रखा जाता है। एक के बाद एक अपराधों को अंजाम देने के बाद भी थानों में उन पर छोटी-मोटी धारा या जमानती अपराधों में आरोपी बनाया जाता है। इससे अपराध दर्ज होने के बाद भी खुले घूमने से बदमाशों को कानून के दण्ड का अहसास नहीं होता और उनकी हरकतें बढ़ती जाती हैं और वे समाज और पुलिस के लिए सिरदर्द बन जाते हैं। धारा 108 के तहत धार्मिक वैमनस्य, तनाव फैलाने वाली हरकत करने वाले बदमाशों पर कार्रवाई की जाती है जो अन्य प्रतिबंधात्म्क कार्रवाई की अपेक्षा ज्यादा कारगर साबित होती है। पिछले चार माह में जिले में एेसे मामलों में करीब ८ कार्रवाई की गई हैं।
डीजे-हाइकोर्ट करता है सुनवाई
कैंट टीआई नीलेश दोहरे के अनुसार थाने में पिछले माह सदर के आदतन बदमाश के विरुद्ध धारा 122 की कार्रवाई की गई है। उसे बाउंड ओवर कराने की प्रक्रिया जारी है। बाउंड ओवर का उल्लंघन करने वाले बदमाश, आदतन अपराधी की सुनवाई जिला न्यायधीश या हाइकोर्ट में होती है और बदमाश आसानी से छूट नहीं पाते। इसलिए यह कार्रवाई और भी प्रभावी हो जाती है।
सभी थानों को दिए कार्रवाई के निर्देश
सीएसपी आरडी भारद्वाज का कहना है कि सीआरपीसी की धाराओं की सख्ती से बदमाशों को सबक सिखाने की तैयारी है। सभी थाना प्रभारियों को आदतन-निगरानी बदमाशों पर सख्ती बरतते हुए 122-108 के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। सीआरपीसी की धारा 122 के तहत बाउंड ओवर कराने में लगने वाला समय व रुचि की कमी के चलते अधिकारी कुछ हिचकते हैं लेकिन अब बदमाशों के
विरुद्ध इनके तहत कार्रवाई की जा रही है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो