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एमएचआरडी को वर्ष २०१० की गाइड लाइन के अनुरूप सहायक प्राध्यापकों के री-इंटरव्यू कराने भेजा पत्र

locationसागरPublished: Feb 14, 2020 09:16:21 pm

ईसी के मिनिट्स हुए फाइनल ;कार्यपरिषद की बैठक में ८२ पद के विरुद्ध १५७ सहायक प्राध्यापकों की तैनाती का मामला

एमएचआरडी को वर्ष २०१० की गाइड लाइन के अनुरूप सहायक प्राध्यापकों के री-इंटरव्यू कराने भेजा पत्र

एमएचआरडी को वर्ष २०१० की गाइड लाइन के अनुरूप सहायक प्राध्यापकों के री-इंटरव्यू कराने भेजा पत्र

सागर. डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा दिल्ली में आयोजित की गई कार्यपरिषद की बैठक के मिनिट्स फाइनल हो गए हैं। इसमें विजिटर रिपोर्ट को लेकर एमएचआरडी को पत्र लिखा गया है। पत्र में वर्ष २०१३ में हुई पद विरुद्ध सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति के संबंध में वर्ष २०१० की गाइड लाइन के अनुरूप री इंटरव्यू कराए जाने पर विचार करने की बात कही है। हालांकि सीधे तौर पर पुनर्विचार वाला यह पत्र राष्ट्रपति कार्यालय नहीं भेजा है। एमएचआरडी के जरिए यह पत्र राष्ट्रपति को भेजा जाएगा। संभावना जताई जा रही है कि राष्ट्रपति इस पत्र पर सकारात्मक जवाब देंगे। एेसा हुआ तो री इंटरव्यू में शॉट लिस्टिड सहायक प्राध्यापकों के इंटरव्यू होंगे। विजिटर रिपोर्ट में वर्ष २०१८ की यूजीसी गाइड लाइन के अनुसार री-इंटरव्यू कराने की बात कही गई थी। इसमें कार्यपरिषद के सदस्यों ने आपत्ति दर्ज की थी। उनके अनुसार एेसा करने से सभी को इंटरव्यू में भाग लेने का मौका मिल जाएगा।

-फिर करना पड़ेगा इंतजार
कार्यपरिषद में सहायक प्राध्यपकों के मामले में निर्णय न होने से फिर से यह मामला टल गया है। पुनर्विचार वाला यह पत्र एमएचआरडी को भेजा जा चुका है, लेकिन यहां से राष्ट्रपति कार्यालय कब भेजा जाएगा। इसका समय निर्धारित नहीं है। वहीं, राष्ट्रपति कार्यालय से पुनर्विचार होने और रिपोर्ट आने में भी वक्त लगेगा।

-यह था मामला
बता दें कि विवि में वर्ष २०१० में विवि प्रशासन ने सहायक प्राध्यापकों की तैनाती के लिए विज्ञापन जारी किया था। वर्ष २०१३ में ८२ पद के विरुद्ध १५७ सहायक प्राध्यापकों की तैनाती विवि प्रशासन ने कर ली थी। इस पर हंगामा होने और लगातार शिकायतों के बाद सरकार ने भर्ती प्रक्रिया की जांच कराई थी। मामला हाईकोर्ट में चला, जहां कोर्ट ने सभी नियुक्तियों को दूषित मानते हुए विवि को भर्तियां निरस्त करने के आदेश दिए थे। इसके बाद कुलपति प्रो. आरपी तिवारी ने राष्ट्रपति से अभिमत मांगा था। राष्ट्रपति ने पैनल गठित कर इस मामले की जांच कराई थी। यही जांच रिपोर्ट ईसी में रखी गई, जिस पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है।

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