सागर

सवारियां न मिलने से सैकड़ों ऑटो चालकों के लिए लॉकडाउन जैसी स्थिति

कोरोना संक्रमण के कारण बनी स्थिति

सागरSep 30, 2020 / 08:45 pm

anuj hazari

Lockdown-like situation for hundreds of auto drivers due to lack of riders

बीना. शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में यात्रियों को लाने ले जाने के लिए सैकड़ों ऑटो चलते हैं, लेकिन कोरोना के चलते पिछले छह महीनों से ऑटो चालकों को सवारियां नहीं मिल पा रही है। इस कारण उन्हें घर का खर्चा चलाना भी मुश्किल हो रहा है। कई लोगों ने लोन लेकर ऑटो खरीदे हैं, लेकिन वह भी उसकी किस्त नहीं भर पा रहे हैं। कुछ दिनों की सरकार ने किस्त की छूट दी थी, लेकिन अब किस्त भरने में कोई रियायत नहीं है जिसके कारण उन पर ब्याज बढ़ता जा रहा है। कई ऑटो चालकों का नाम तो गरीबी रेखा की सूची में नहीं है। इस कारण उन्हें सरकार की योजना का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है।
किस्त तक नहीं भर पा रहे, सरकार भी नहीं दे रही ध्यान
ऑटो चालक राजेश यादव ने बताया कि कई सालों से ऑटो रिक्शा चला रहे हंै पिछले वर्ष एक बंैक से उन्होंने 1 लाख 70 हजार रुपए लोन लेकर ऑटो लिया था, जिसकी किस्त पांच हजार रुपए महीना आती है, लॉकडाउन के बाद से कमाई बंद है। काफी भटकने के बाद एक या दो सवारी मिलती है। तब जाकर सौ से डेढ़ सौ रुपए कमा पाते हैं। घर की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है। सवारी नहीं मिलने से परिवार का भरण पोषण करने तक के लाले पड़ गए हैं। बच्चों की फीस के लिए भी स्कूल से फोन आने लगे हैं और लोन की किस्त भी देनी है, लेकिन हमें अभी तक शासन की किसी योजना का लाभ नहीं मिला है।
कमाई चली जाती है पेट्रोल में
ऑटो चालकों ने बताया कि दिन भर में यदि कुछ कमाते भी है तो वह तो पेट्रोल में चली जाता है। एक दो सवारियां मिलने पर लाभ नहीं होता है। कोरोना के कारण सोशल डिस्टेंस का भी पालन करने के लिए कहा गया है। इस स्थिति में कैसे काम चलाएं।
ट्रेन बंद होने से हो रहा सबसे ज्यादा नुकसान
शहर के ऑटो चालकों की मुख्य आय रेलवे स्टेशन पर आने जाने वाले यात्रियों से होती है। क्योंकि बीना बड़ा जंक्शन होने के कारण चौबीसों घंटे टे्रनें आती है। जिससे अच्छी खासी कमाई हो जाती थी, लेकिन चुनिंदा ट्रेनों के चलने से घंटों तक तो ट्रेन का इंतजार करते है उसके बाद कुछ ही यात्री आते है तो ऑटो चालकों को पर्याप्त सवारी नहीं मिलती है जिससे नुकसान होता है।

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