सागरPublished: Nov 19, 2022 09:13:34 pm
sachendra tiwari
लागत लग रही ज्यादा, नहीं मिल रहे दाम
बीना. पिछले कुछ वर्षों से क्षेत्र में लहसुन का रकबा बढ़ा था, क्योंकि किसानों को अन्य फसलों की अपेक्षा इस फसल में लाभ ज्यादा था, लेकिन पिछले वर्ष रबी सीजन की फसल आने पर दाम अच्छे नहीं मिले और किसान अभी तक स्टॉक रखे हुए हैं। इसका असर इस वर्ष के रकबा पर पड़ा है और अब ना के बराबर लहसुन की बोवनी हुई है। पिछले सीजन में किसानों ने करीब दो हजार हेक्टेयर में लहसुन की बोवनी की थी और सबसे ज्यादा लहसुन सतौरिया क्षेत्र में बोया गया था। फसल तैयार होने पर पर जब किसान बाजार में बिक्री करने पहुंचे, तो कम दाम मिलने के कारण बिक्री नहीं की और स्टॉक कर लिया था। कई माह बीत जाने के बाद अभी तक दाम नहीं बढ़े हैं, जिससे किसान परेशान हैं और इस वर्ष क्षेत्र में करीब 200 हेक्टेयर में लहसुन बोया गया है। सतौरिया के किसान अजब सिंह ने बताया कि बताया कि वह सात वर्षों से लहसुन की खेती करते आ रहे हैं और पिछले वर्ष 18 एकड़ में बोवनी की थी, लेकिन इस वर्ष सिर्फ चार एकड़ में बोवनी की है, क्योंकि लहसुन के दाम न मिलने के कारण पिछले सीजन का स्टॉक रखा हुआ है। गांव सहित आसपास करीब 800 एकड़ में लहसुन की बोवनी हुई थी, जो अब 50 एकड़ पर सिमट गई है। यदि दाम कम रहे, तो आने वाले सालों में किसान बोवनी करना ही छोड़ देंगे। क्षेत्र के अन्य किसानों का भी मोह भंग हो गया है। उद्यानिकी फसलों की जगह किसान परंपरागत फसलों की ओर लौटने लगे हैं और गेहूं, चना, मटर, मसूर आदि की बोवनी कर रहे हैं।
विक्रय के लिए नहीं है मंडी
लहसनु का रकबा बढऩे के बाद भी क्षेत्र में विक्रय के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। यदि मंडी खुल जाए, तो किसान वहां फसल बेच सकते हैं। लहसुन के साथ-साथ प्याज का भी यही हाल है। उद्यानिकी फसल को लाभ का धंधा बनाने के लिए शासन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।