एनआरसी तक नहीं पहुंच रहे कुपोषित बच्चे, खाली पड़े रहते हैं पलंग
जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान

बीना. कुपोषित बच्चों को भर्ती करने के लिए सिविल अस्पताल में पोषण पुनर्वास केन्द्र (एनआरसी) बनाया गया है। यहां कुपोषित बच्चों को भर्ती कर उनकी देखभाल की जाती है, लेकिन यहां बहुत कम संख्या में ही बच्चे पहुंच रहे हैं। बीस बच्चों को भर्ती करने की क्षमता वाले केन्द्र में कभी पांच तो कभी इससे भी कम बच्चे भर्ती रहते हैं।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषित, अतिकुपोषित बच्चे होने के बाद भी उन्हें पोषण पुनर्वास केन्द्र तक नहीं पहुंचाया जा रहा है। बच्चों को यहां तक पहुंचाने की जिम्मेदारी आंगनबाड़ी व आशा कार्यकर्ताओं की होती है, क्योंकि इनके द्वारा ही सर्वे कर बच्चों को चिंहित किया जाता है। कुपोषित बच्चों की संख्या तो महिला बाल विकास ऑफिस तक पहुंचती है, लेकिन बच्चे केन्द्र तक नहीं पहुंच पाते हैं। यदि बच्चों को केन्द्र पर भर्ती कराया जाए तो सात दिनों तक यहां बच्चे को भर्ती कर मां को पोषण आहार देने का तरीका सहित अन्य प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे बच्चे का वजन, लंबाई बढ़ सके।
ग्रामीण क्षेत्र में यह है स्थिति
मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में मेम और सेम कार्यक्रम की ट्रेकिंग चल रही है। इसमें ग्रामीण क्षेत्र में मेम में 350 और सेम में 242 बच्चे हैं। मेम में उन बच्चों को लिया जा रहा है जिनके कुपोषित का खतरा है और सेम में वजन, लंबाई कम होने वाले कुपोषित बच्चों को लिया गया है ।
मां-बाप नहीं करा रहे बच्चों को भर्ती
आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं द्वारा पूरा प्रयास बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराने का किया जा रहा है, लेकिन मां-बाप बच्चों को भर्ती नहीं करा रहे है। वर्तमान में कोरोना का डर लोगों को सता रहा है। बच्चों को एनआरसी लेकर तो वह पहुंचते पर वापस ले आते हैं। साथ ही मेम और सेम कार्यक्रम के तहत टे्रकिंग जारी है।
कीर्ति जैन, प्रभारी परियोजना अधिकारी, ग्रामीण
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