scriptखतरे में बाजार: बिजली के खंभों से लटक रहे मौत के तार, गलियां ऐसी कि फायर ब्रिगेड भी न पहुंच पाए | Market in danger | Patrika News

खतरे में बाजार: बिजली के खंभों से लटक रहे मौत के तार, गलियां ऐसी कि फायर ब्रिगेड भी न पहुंच पाए

locationसागरPublished: Jun 04, 2019 01:22:58 am

Submitted by:

Satish Likhariya

सूरत हादसे के बाद व्यावसायिक क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर उठ रहे सवाल

Market in danger

Market in danger

सागर. शहर के बाजारों के हाल इतने बुरे हैं कि यहां अग्नि दुघर्टना होने पर राहत व बचाव के काम भी मुश्किल हो जाते हैं। यह स्थिति तब है जबकि गुजरात के सूरत में कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में आग लगने से १९ बच्चों की मौत हो चुकी है। हमारे शहर में भी ऐसे कमर्शियल कॉम्प्लेक्स व बाजार हैं, जहां आग लगने की स्थिति में सुरक्षा व्यवस्था के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। खासकर तंग गलियों के बीच चल रहे बाजारों में तो हालात ऐसे हैं कि फायर बिग्रेड तक का पहुंचना मुश्किल है। ऐसी स्थिति में आग लगने की घटना पर सूरत हादसे से भी बुरे हाल यहां हो सकते हैं।
पत्रिका ने नया बाजार, नगर निगम मार्केट का जायजा लिया तो स्थिति चौकाने वाली मिली। कटरा जामा मस्जिद से राधा तिराहा की ओर जाने वाले मार्ग पर नया बाजार व नगर निगम मार्केट हैं। मुख्य सड़क के किनारे लगे खंभों से यहां की दुकानों के लिए बिजली के कनेक्शन दिए हैं, लेकिन इसमें लापरवाही ऐसी बरती गई कि एक खंभे से अनेक तार निकले हैं, मानों यह इन तारों का मकडज़ाल हो।
गर्मी के दिनों में इन तारों से स्पार्किंग से निकली चिंगारी से कई बार आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं, इसके बाद भी बिजली के खंभों से तार मौत बनकर लटक रहे हैं। इस ओर न तो नगर निगम
प्रशासन ध्यान दे रहा है और न ही बिजली कंपनी। हालांकि इस समस्या को लेकर यहां के
ज्यादातर व्यापारी भी जागरूक नहीं हैं। उन्होंने स्वयं अतिक्रमण करके सड़कों को गलियों में
बदल डाला है। नया बाजार व नगर निगम मार्केट में पूर्व हुई आग लगने की घटनाओं के बाद भी व्यापारी भी सबक नहीं ले रहे हैं। इससे कभी भी हादसा हो सकता है।
नगर निगम मार्केट 500 से अधिक दुकानें, हर पल मौत का साया
नगर निगम मार्केट: व्यापारियों और निगम के लिए कमाई का जरिया है। लेकिन यहां भी सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम नहीं हैं। शायद ही ऐसी कोई दुकान या व्यापारी होगा, जिसके यहां आग्निशामन यंत्र हों। यानी, आग लगने की स्थित में उससे निपटने के उपाय भगवान भरोसे है। जैसा कि इन तस्वीरों में दिखाई दे रहा है कि बिजली के एक खंभे से एक नहीं अनेक तार निकले हुए हैं जो हादसों का कारण भी बन जाते हैं। इसके लिए जितने व्यापारी जिम्मेदार हैं उतना निगम प्रशासन व बिजली कंपनी। यह मार्केट दो मंजिला है। सड़कें तो चौड़ी बनी हैं, लेकिन ज्यादातर व्यापारियों ने इन पर कब्जा कर लिया है। गैलरी तो चलने लायक छोड़ी ही नहीं हैं, वहां दुकानें चल रही हैं। ऐसी स्थिति में आग लगने की घटना होती है तो यहां भी फायर ब्रिगेड का पहुंचना मुश्किल हो जाता है। इस मार्केट में हर साल आग लगने की एक-दो घटनाएं तो होती ही रहती हैं। इसी मार्केट से सटा हुआ बाजार है, बख्शी खाना। यहां भी गलियों पर दुकानदारों का कब्जा है। फायर ब्रिगेड तो दूर यहां तो बाइक का पहुंचना भी मुश्किल है।

नया बाजार: 700 से अधिक दुकानें, सुरक्षा रत्तीभर भी नहीं
नया बाजार शहर का सबसे पुराना व बड़े भूभाग में फैले बाजारों में से प्रमुख हैं। यहां 700 से अधिक दुकानें हैं। कपड़ा, किनारा, सौंदर्य, खाद्य से लेकर लगभग सभी प्रकार की खाद्य सामग्री के यहां थोक व फुटकर दुकानें हैं। यह बाजार नगर निगम की आय का भी एक प्रमुख जरिया है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है। खासकर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर तो निगम प्रशासन व व्यापारी ही नियमों की धज्जियां उड़ाने में लगे हैं। बाजार के लगभग 80 फीसदी हिस्से में सड़कों पर इस तरह अतिक्रमण करके चबूतरे व टीन शेड लगाए गए हैं कि फायर ब्रिगेड तक नहीं पहुंच पाती हैं। ज्यादातर व्यापारी निर्धारित क्षेत्रफल में आवंटित दुकानों से दोगुनी जगह पर कारोबार कर रहे हैं। फुटपाथ पर भी कब्जा जमाकर दुकानें लगाई गई हैं। यह सब खुलेआम और नगर निगम के ही जिम्मेदार अफसरों व कर्मचारियों के सामने हो रहा है। चिंता की बात यह है कि बाजार में रोजाना हजारों लोग आते हैं। ऐसी स्थिति में आग लगने जैसी घटना होती है और कोई जनहानि होती हैं तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो