शिशुरोग विभाग, एनेस्थिीसिया और नेत्र विभाग में एमसीआई की टीम द्वारा किए गए निरीक्षण के बाद जो खामियां पाई गई थीं। उन्हें प्रबंधन ने सुधार लिया था। हालांकि नेत्र विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर की कमी थी, जिसकी जानकारी भी एमसीआई को दी गई थी, लेकिन यह रिपोर्ट एमसीआई को नहीं मिली थी। इसी गफलत के कारण एमसीआई ने शिशु रोग और एनेस्थिीसिया विभाग में पीजी की सीटें देने से इंकार कर दिया था।
-यहां भी उम्मीदों पर फिरा था पानी
बीएमसी में मेडिसिन, सर्जरी और हड्डी विभाग में पीजी की सीटें मिलने की उम्मीद की जा रही थी। इन विभागों में एक-एक सहायक प्राध्यापकों की कमी थी, जिसे प्रबंधन ने इंटरव्यू के जरिए पूरा कर लिया था। वहीं, एमसीआई की टीम ने निरीक्षण के बाद ओके रिपोर्ट भी दी थी। लेकिन फाइनल रिपोर्ट में तीन-तीन सहायक प्राध्यापकों की कमी बताकर इन विभागों को पीजी की सीटें नहीं दी। प्रबंधन का कहना है कि निरीक्षण के दौरान एमसीआई की टीम ने जितने सहायक प्राध्यापक कम थे उनकी भरपाई कर दी गई थी, लेकिन बाद में एमसीआई ने अलग से इन सहायक प्राध्यापकों की कमी बताकर आवेदनों को खारिज कर दिया।
एमसीआई ने बीएमसी की अपील स्वीकार कर ली है। २४ फरवरी को दिल्ली में सुनवाई होगी। ५ विभागों के विभागाध्यक्ष दिल्ली में अपना पक्ष रखेंगे। उम्मीद है कि इन सभी विभागों में पीजी की सीटों की मंजूरी मिल जाएगी।
डॉ. जीएस पटेल, डीन बीएमसी