सागरPublished: May 21, 2019 12:14:24 am
vishnu soni
प्राचीन जैन मंदिर एवं महावीर संत भवन में प्रवचन
‘चरित्र के बिना नैतिक विकास संभव नहीं
खुरई. प्राचीन जैन मंदिर एवं महावीर संत भवन में संयुक्त रूप से आयोजित संस्कार शिविर के द्वितीय दिवस पर ब्रम्हचारी संदीप भैया ‘सरलÓ ने संबोधित करते हुए कहा कि रुपए-पैसों से कभी किसी को चरित्र नहीं मिलता बल्कि अपने स्वयं के सदाचरण से सम्यक चरित्र की उपलब्धि संभव है और यही इस मनुष्य जीवन की सही कसौटी है। चरित्र वह बहुमूल्य आभूषण है जिसकी चमक से इंसान का बाहरी ही नहीं अन्त:करण भी निर्मल व पावन बनता है।
उन्होंने कहा कि चरित्र के बिना जीवन का नैतिक विकास नहीं हो सकता और सदचरित्र ही इस देश की पावन संस्कृति की विशिष्ट पहचान है। चरित्र की बदौलत ही मानव से महामानव बना जा सकता है क्योंकि धर्म की नींव ही चरित्र है और जब चरित्र ही हमारा नष्ट हो गया तो फिर धर्म कहां से मिलेगा। चरित्र के प्रति सचेष्टता व उसकी सुरक्षा ही धर्म का अनुसरण है।
चरित्र के विभिन्न रूप बताते हुए भैयाजी ने कहा कि बढ़ती हुई आकांक्षाओं को रोकना भी चरित्र है। मन और इन्द्रियों को वश में करना भी चरित्र की परिभाषा है। अनुशासन, संतुलन, संयम का नाम भी चरित्र है। चरित्र रूपी रसायन जिसके पास होता है, वह अपने आप को निखार लेता है। महासती सीता के पास चरित्र रूपी रसायन था जिसके बल पर अग्नि का नीर हो गया। बाहर का रसायन तो फेल भी हो सकता है लेकिन चरित्र रूपी रसायन कभी फेल नहीं होता।
सम्यग्ज्ञान संस्कार शिविर में हुए कार्यक्रम
प्राचीन जैन मंदिर, संत भवन में सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वाधान में ब्रम्हचारी संदीप भैया ‘सरलÓ, ब्रम्हचारिणी नीलांजना दीदी, ब्रम्हचारिणी शशि दीदी गंजबासौदा के मार्गदर्शन में 19 मई से 25 मई तक आयोजित होने वाले सप्त दिवसीय संस्कार शिविर के द्वितीय दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम एवं कक्षाएं आयोजित की गई। संगीतकार राहुल बड्डे एवं उनके सहयोगी कलाकारों के द्वारा संगीतमय पूजन का आयोजन संपन्न हुआ।
शिविर के शुभारंभ पर पाठशाला में नि:शुल्क अध्ययन करा रहीं ***** स्वाति जैन, रानी जैन, निधि जैन, भावना जैन, रूचि जैन, दिव्या जैन, किमी जैन, दीक्षा जैन, सेजल जैन, स्वेता जैन, स्वाती गुरहा, हिमानी गुरहा आदि ने ब्रम्हचारी संदीप भैया ‘सरलÓ के द्वारा प्रदत्त शास्त्रों की स्थापना स्वर्ण वेदिका पर की। इस अवसर पर आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के चित्र का अनावरण प्रकाशचंद सराफ, विजय गुरहा, डॉ. राजेन्द्र मलैया, राजकुमार गुरहा, हेमचंद बजाज ने किया।