इस उपलब्धि पर भावुक होते हुए कृष्णपाल ने कहा कि उनके माता-पिता का संघर्ष अतुलनीय है। स्कूल शिक्षा से लेकर उच्चशिक्षा तक पिता ने हर दिन यही कहा कि घर की ओर मत देखो, मंजिल पर नजर रखो। पिता ने अपने पढ़ाई के दिनों में बहुत संघर्ष किया था और अक्सर कठिनाईयों के बारे में बताते थे। उनके संघर्ष को कामयाब बनाने का सपना था जो अब पूरा हो गया है। लगन से हर लक्ष्य पूरे हो जाते हंै, युवाओं को इस पर धैर्यपूर्वक अमल करना चाहिए।
बुंदेलखंड की बदहाली पर कृष्णपाल कहते हैं कि अगर पानी मिले और शिक्षा के अच्छे अवसर बनाए जाएं तो यह क्षेत्र भी समृद्ध हो सकता है। वे बुंदेलखण्ड में पानी एवं शिक्षा की समस्या दूर करने के लिए काम करना चाहते है। मौका मिला तो इस ओर पहल करेंगे, युवाओं को प्रेरित करेंगे।
जबेरा के नृसिंह मंदिर निवासी शुभम शर्मा ने हायरसेकंडरी की पढ़ाई नवोदय विद्यालय से पूरी की और गुजरात से बीटेक किया। वहीं रहकर यूपीएससी की तैयारी की। उन्होंने बताया कि जब पहली बार में उनका क्लियर नहीं हुआ तो निराशा पालने की बजाय खुद की कमियों और कमजोरियों पर मनन किया, उन्हें दूर करने का प्रयास किया। उसी का परिणाम है कि दूसरे प्रयास में यह सफलता मिल गई। शुभम संयुक्त परिवार से आते हैं। उनके पिता जयप्रकाश शर्मा की कपड़े की दुकान है। वहीं, चाचा ओमप्रकाश मेडिकल स्टोर चलाते हैं। उन्होंने सफलता का श्रेय पिता, चाचा के साथ मां सविता, दादा-दादी और चाची प्रज्ञा को देते हुए बताया कि उनकी प्रेरणा से ही यह मुकाम मिला।
अपनी इस उपलब्धि पर शुभम शर्मा कहते हैं कि पढ़ाई के लिए कोई भी स्थान नहीं होता है वह एक माहौल और प्रेरणा होती है, जो परिजनों से मिलती है। पहली बार की असफलता से सबक लिया। ऐसा ही अन्य युवाओं को भी करना चाहिए। मुश्किलें चाहे राह में कितनी आएं लेकिन हमें अपना रास्ता मायूस होकर नहीं बदलना चाहिए, नई ऊर्जा के साथ फिर उसी रास्ते पर चलना चाहिए मंजिल जरूर मिल जाएगी।