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MP : आंगनबाड़ी सहायिका का बेटा बनेगा अफसर

– दूसरे प्रयास में यूपीएससी में पाई 329वीं रैंक, गांव में खुशी
– दमोह के शुभम ने दूसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास की- देश में मिली 556वीं रैंकटीकमगढ़/दमोह . आंगनबाड़ी सहायिका का बेटा अब अफसर बनेगा। निवाड़ी जिले के पपावनी गांव के कृष्णपाल राजपूत ने दूसरे प्रयास में यूपीएससी में 329वीं रैंक हासिल की है। परिणाम की घोषणा होते ही गांव में खुशी का माहौल है।

सागरMay 31, 2022 / 03:25 am

Rajendra Gaharwar

आंगनबाड़ी सहायिका का बेटा कृष्णपाल राजपूत अब अफसर बनेगा

कृष्णपाल की मां ममता गांव के ही आंगनबाड़ी केंद्र में सहायिका हैं, जबकि पिता रामकुमार राजपूत पेशे से वकील हैं और ओरछा में प्रैक्टिस करते हैं। उन्होंने आठवीं गांव पपावनी की स्कूल से पास की और हायरसेकंडरी निवाड़ी से की। आगे की पढ़ाई ग्वालियर में करते हुए अंग्रेजी से एमए किया। परिवार ने प्रोत्साहित किया तो यूपीएससी की तैयारी में जुट गए। पहले प्रयास में असफल हुए तो निराशा को पीछे छोड़कर तैयारी तेज की और अब परिणाम सामने है।
माता-पिता का संघर्ष अतुलनीय
इस उपलब्धि पर भावुक होते हुए कृष्णपाल ने कहा कि उनके माता-पिता का संघर्ष अतुलनीय है। स्कूल शिक्षा से लेकर उच्चशिक्षा तक पिता ने हर दिन यही कहा कि घर की ओर मत देखो, मंजिल पर नजर रखो। पिता ने अपने पढ़ाई के दिनों में बहुत संघर्ष किया था और अक्सर कठिनाईयों के बारे में बताते थे। उनके संघर्ष को कामयाब बनाने का सपना था जो अब पूरा हो गया है। लगन से हर लक्ष्य पूरे हो जाते हंै, युवाओं को इस पर धैर्यपूर्वक अमल करना चाहिए।
पानी मिले तो आगे बढ़े बुंदेलखंड
बुंदेलखंड की बदहाली पर कृष्णपाल कहते हैं कि अगर पानी मिले और शिक्षा के अच्छे अवसर बनाए जाएं तो यह क्षेत्र भी समृद्ध हो सकता है। वे बुंदेलखण्ड में पानी एवं शिक्षा की समस्या दूर करने के लिए काम करना चाहते है। मौका मिला तो इस ओर पहल करेंगे, युवाओं को प्रेरित करेंगे।
दमोह/जबेरा. जिले के जबेरा कस्बे के शुभम शर्मा ने दूसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा क्लियर की है। उन्हें 556वीं रैंक हासिल हुई है। इसके साथ ही परिवार का बेटे के बड़े अधिकारी बनने का सपना पूरा हो गया है। शुभम व्यवसायी परिवार से हैं, पिता का कपड़े और चाचा का दवाइयों का कारोबार है।
जबेरा के नृसिंह मंदिर निवासी शुभम शर्मा ने हायरसेकंडरी की पढ़ाई नवोदय विद्यालय से पूरी की और गुजरात से बीटेक किया। वहीं रहकर यूपीएससी की तैयारी की। उन्होंने बताया कि जब पहली बार में उनका क्लियर नहीं हुआ तो निराशा पालने की बजाय खुद की कमियों और कमजोरियों पर मनन किया, उन्हें दूर करने का प्रयास किया। उसी का परिणाम है कि दूसरे प्रयास में यह सफलता मिल गई। शुभम संयुक्त परिवार से आते हैं। उनके पिता जयप्रकाश शर्मा की कपड़े की दुकान है। वहीं, चाचा ओमप्रकाश मेडिकल स्टोर चलाते हैं। उन्होंने सफलता का श्रेय पिता, चाचा के साथ मां सविता, दादा-दादी और चाची प्रज्ञा को देते हुए बताया कि उनकी प्रेरणा से ही यह मुकाम मिला।
असफलता मिले तो खुद के भीतर ऊर्जा भरनी चाहिए
अपनी इस उपलब्धि पर शुभम शर्मा कहते हैं कि पढ़ाई के लिए कोई भी स्थान नहीं होता है वह एक माहौल और प्रेरणा होती है, जो परिजनों से मिलती है। पहली बार की असफलता से सबक लिया। ऐसा ही अन्य युवाओं को भी करना चाहिए। मुश्किलें चाहे राह में कितनी आएं लेकिन हमें अपना रास्ता मायूस होकर नहीं बदलना चाहिए, नई ऊर्जा के साथ फिर उसी रास्ते पर चलना चाहिए मंजिल जरूर मिल जाएगी।

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