डीपीसी एचपी कुर्मी ने बताया कि स्टूडेंट्स को फेल या पास नहीं माना जाता था। विषयों में कम नंबर आने पर दक्षता के आधार पर दोबारा मूल्यांकन कर अपग्रेड कर अगली क्लास में भेज दिया जाता था पिछले दिनों भारत सरकार ने इस कानून में संशोधन कर दिया था। इस पर राज्य सरकार ने इसे अमल करते हुए दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। जबकि 2009 से पहले 5वीं-8वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा होती थी।