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41 पोस्ट और 32 वीं रैंक, फिर भी नहीं हुआ असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए चयन

locationसागरPublished: Aug 28, 2018 10:43:45 am

Submitted by:

sunil lakhera

मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया सवालों के घेरे में

mppsc 41 posts and 32nd rank still not selected for Assistant Professo

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आकाश तिवारी
सागर. मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया सवालों के घेरे में आने लगी है। चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप लगने के साथ आरक्षण नीति पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। एेसी ही एक विसंगति का शिकार अग्रणी कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग के अतिथि विद्वान प्रमेश गौतम हुए हैं। उन्हें पीएससी की परीक्षा में लगभग 90 फीसदी अंक मिले थे। उनका प्रदेश की लिस्ट में ३२वां नंबर अथवा रैंक थी।
यहां जानकार हैरानी होगी कि पद 41 थे। यानी, इनका चयन सौ फीसदी होना था, लेकिन चयन की जगह उन्हें १३वीं वेटिंग लिस्ट में रख दिया गया है। एेसा सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि दिव्यांग कोटे 61 पदों में से 18 पद रिक्त थे और इन पदों को सामान्य वर्ग की सीटों से घटा दिया था। यानी ४१ नवीन सृजित पदों में से 18 पद कम करने के कारण डॉ. गौतम का चयन नहीं हो पाया है। मंगलवार को वे हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल करेंगे।
यह है नियम- डॉ. गौतम बताते हैं कि मप्र दिव्यांग अधिनियम के आरक्षण रोस्टर के अनुसार 100 पदों पर 5 फीसदी आरक्षण दिव्यांग को दिया जाता है। अर्थशास्त्र के ९२ पदों में 46 फीसदी आरक्षित और 46 फीसदी अनारक्षित वर्ग को दिया जाना चाहिए था। लेकिन यहां शासन ने दिव्यांगों के लिए 6 की जगह 23 से ज्यादा सीटें रिजर्व रखीं। आरोप है कि सामान्य वर्ग की ४६ सीटों में मेल आरक्षित सीटों में इन्हें शामिल किया गया। इनमें से 18 सीटों पर दिव्यांग न मिलने पर 46 में से 18 सीटें समाप्त कर दीं।
बाहरी राज्यों के 90 फीसदी लोगों का हुआ चयन
असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया में समान्य वर्ग की सीटों के लिए देशभर के अभ्यर्थियों को आमंत्रित किया गया था। जबकि बैकलॉक और पदोन्नति वाले पदों के लिए सिर्फ एमपी के अभ्यर्थी ही आवेदन कर सकते थे। इतना ही नहीं सामान्य वर्ग में पूछे गए सवालों में महज २० फीसदी सवाल एमपी से संबंधित थे। एेसे में अर्थशास्त्र के असिस्टेंट प्रोफेसर बनने का सपना देख रहे महज १० फीसदी सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन हो पाया है। 90 फीसदी अभ्यर्थी दूसरे राज्यों के थे।
क्या फायदा इन उपलब्धियों का?
डॉ. गौतम बताते है कि उन्होंने नेट, सेट और पीएचडी भी की है। इसके अलावा ४० रिसर्च पेपर भी पब्लिस्ड हैं। ५ पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं।

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