सागरPublished: Jul 13, 2020 11:36:41 am
sachendra tiwari
कहीं टूटे पड़े शेड तो कहीं शुरू नहीं हो पाया काम
Muktidham cannot be built in rural areas
बीना. ग्रामीण क्षेत्रों में मुक्तिधाम हैं ही नहीं या फिर उन्हें व्यवस्थित नहीं बनाया जा रहा है। कहीं पहले से बने शेड धराशाही हो गए हैं तो कहीं अभी तक काम ही शुरू नहीं हुआ है। जबकि मनरेगा के तहत सभी ग्रामों में शेडों का निर्माण होना था। इस संबंध में कई बार जनपद की बैठक में भी मुद्दा उठाया गया है।
ब्लॉक के दर्जनों गांव ऐसे हैं, जहां मुक्तिधाम नहीं हैं। कई जगहों पर तो अतिक्रमण के चलते मुक्तिधाम की चिंहित भूमि भी नहीं बची है। मालखेड़ी गांव के श्मशानघाट में पहले शेड लगाया गया था जो पूरी तरह से धराशाही हो गया है। यही नहीं श्मशानघाट तक पहुंचने के लिए लोगों को रास्ता भी नहीं है। खेतों में से होकर वहां तक पहुंचना पड़ता है। पंचायत द्वारा अभी तक कोई ऐसी जगह नहीं तलाशी है जहां पहुंचने के लिए रास्ता उपलब्ध हो। यदि बारिश में किसी का निधन हो जाता है तो अस्थाई व्यवस्था करके अंतिम संस्कार करना पड़ता है या फिर बारिश खुलने का इंतजार। अधूरे पड़े मुक्तिधामों का कार्य भी पूर्ण नहीं किया जा रहा है। मुक्तिधाम न होने से पिछले वर्ष बारिश में कई गांवों से ऐसी तस्वीरें सामने आई थीं, जहां लोगों ने अस्थाई शेड बनाकर अंतिम संस्कार किया था।
जगह है पर रास्ता नहीं
ग्राम पंचायत बरदौरा में मुक्तिधाम के लिए जगह तो है, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए रास्ता नहीं है, जिसके चलते ग्रामीण परेशान हैं। बारिश में कई बार बरदौरा से ग्रामीण अर्थी लेकर बीना के मुक्तिधाम आकर अंतिम संस्कार करते हैं। रास्ता की मांग को लेकर ग्रामीणों द्वारा कई बार अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंपे हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
शेड, बाउंड्रीवॉल हो गए क्षतिग्रस्त
कुछ ग्रामों में शेड और बाउंड्रीवॉल का निर्माण भी किया गया है, लेकिन घटिया निर्माण के चलते कुछ दिनों में ही यह धराशाही हो गए। इसके बाद भी अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसमें सरकार राशि का दुरुपयोग किया गया है।