कपड़े फाडऩे वाला विपक्ष, रसमलाई खाते ही हुआ शांत
पिछली बैठक में किया था जोरदार प्रदर्शन, इस बार खास वजह से नरम रहे तेवर, सही निकला पत्रिका का अनुमान, सत्ता पक्ष के साथ विपक्ष की मिलीभगत परिषद की बैठक में आई सामने, बीएलसी घटक, एनयूएलएम जैसे मामलों में चुप्पी साधे रहे नेता प्रतिपक्ष
सागर. निगम की बजट बैठक के साथ प्रधानमंत्री आवास योजना के बीएलसी घटक और एनयूएलएम योजना में हुए फर्जीवाड़े की समीक्षा की जानी थी। इन मामलों को पिछली बैठक में विपक्ष के विरोध के कारण शामिल किया गया था लेकिन बजट पेश होने के बाद जैसे ही इन मुद्दों पर चर्चा हुई तो पिछली बैठक में कपड़े फाडऩे पर उतारू रहा विपक्ष इस बार रसमलाई खाते ही शांत हो गया। नेता प्रतिपक्ष अजय परमार दोनों ही मुद्दों पर अपने स्वभाव के विपरीत शांत नजर आए। पत्रिका एक दिन पहले ही परिषद के हालातों को लेकर स्थिति का खुलासा कर चुका था और शनिवार को आयोजित हुई बैठक में वैसा ही घटनाक्रम पूरे दिन बैठक के दौरान चलता रहा।
इन बातों से साबित हुई मिलीभगत
- बीएलसी फर्जीवाड़े की जांच रिपोर्ट सदन में पेश की गई लेकिन रिपोर्ट पडऩे के बाद उसमें कार्रवाई के लिए कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ। भाजपा व कांग्रेस दोनों ही दलों के पार्षद इसमें शामिल थे जिसके कारण सत्ता पक्ष व विपक्ष ने अफसरों के साथ मिलकर पूरे मामले को दबा दिया।
- कंसल्टेंट एजेंसी को अपात्र हितग्राहियों से पैसा वसूलना था लेकिन पक्ष-विपक्ष की दखल के कारण किसी ने भी यह प्रश्न नहीं उठाया कि अब तक कितने अपात्र हितग्राहियों से पैसा वसूला गया है। निगमायुक्त ने आभा सिस्टम एंड कंसल्टेंट एजेंसी को आरोपियों पर एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश भी दिए थे लेकिन यह बात भी परिषद में किसी ने भी नहीं उठाई न ही कोई चर्चा हुई।
- पिछली बैठक के मुताबिक बीएलसी फर्जीवाड़ के एक-एक पार्षद के नाम जो फर्जीवाड़े में शामिल थे उनके नाम उजागर किए जाने थे लेकिन नेताओं ने अपने स्वार्थ के कारण शहर की जनता की आंखों में धूल झोंक दी।
- एनयूएलएम में महापौर दरे ने खुद ही फर्जीवाड़ा पकड़ा था। इसके साथ पिछली बैठक में नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाए थे लेकिन इस बैठक में वे शांत रहे।
- राजीव आवास योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया है जिसमें आभा सिस्टम एंड कंसल्टेंसी ने ही फर्जीवाड़ा किया है फिर भी नेताओं ने आंख बंद करके सारी बातें मान लीं। राजीव आवास में प्रोजेक्ट कॉस्ट से करीब 30 करोड़ रुपए की ज्यादा लागत आई है।
इन मामलों पर हुई गंभीर चर्चा
- मकरोनिया नपा को राजघाट बांध से पानी देने पर रोक लगाने का संकल्प पारित करने पर चर्चा हुई। हालांकि इस आशय का प्रस्ताव परिषद पहले भी पारित कर चुकी थी जिसका कोई असर देखने को नहीं मिला है। बल्क सप्लाई पर एक महीने के अंदर मीटर लगाने का घिसापिटा निर्णय फिर से लिया गया।
- अंबेडकर पार्क का भूमिपूजन तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया था लेकिन हैरानी की बात यह है कि भोपाल से उनके कार्यकाल में ही इस पार्क निर्माण पर रोक लगा दी गई। चर्चा के बाद इस पार्क को अमृत योजना के तहत बनवाने का निर्णय लिया गया। यह मामला पार्षद महेश जाटव ने उठाया।
- पार्षद श्वेता यादव ने पुलवामा हमले में शहीद हुए सैनिकों के परिजनों को एक माह का मानदेय देने की घोषणा की। परिषद की आखिर में शहीदों को मौन श्रृद्धांजलि अर्पित की गई।
- जलप्रदाय विभाग के सभापति नरेश यादव ने कहा कि शहर में जलसंकट के हालात नहीं बनेंगे। सिर्फ थोड़े से ही प्रयास करने हैं।
- राजीव आवास योजना के रहवासियों के बिजली बिल के मामले पर चर्चा हुई, जिसमें प्रति हितग्राही प्रतिमाह २०० रुपए लेने का निर्णय हुआ। शेष राशि निगम प्रशासन भरेगा।
- डेयरी विस्थापन की प्रक्रिया में तेजी से काम करने का निर्णय हुआ।
- जलकर की राशि वसूलने को लेकर भी उपभोक्ताओं को राहत दी गई।
जिम्मेदार बोले
- इस परिषद का आखिरी बजट है। वर्ष-2015 से लेकर आज तक शहर विकास को ध्यान में ही रखकर काम किया गया है। जो लोग पहले सागर को बड़ा गांव कहते थे आज उनकी धारणा बदल गई है।
- अभय दरे, महापौर
- बजट पारित करना सिर्फ औपचारिकता रही है। जनता को धोखा देने वाला बजट रहा है जिसमें कॉपी-पेस्ट से ज्यादा कुछ नहीं रहा है।
- अजय परमार, नेता प्रतिपक्ष
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