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परिषद में पूरी जानकारी के साथ पहुंचने और सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों के निराकरण के निर्देश

locationसागरPublished: Jul 21, 2018 04:35:10 pm

नगर निगम परिषद की बैठक में हर बार शर्मिंदा करवाने वाले विभाग प्रमुखों को इस बार निगमायुक्त अनुराग वर्मा ने पहले से ही समझाइश दे दी है।

Municipal council meeting

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सागर. नगर निगम परिषद की बैठक में हर बार शर्मिंदा करवाने वाले विभाग प्रमुखों को इस बार निगमायुक्त अनुराग वर्मा ने पहले से ही समझाइश दे दी है।
शुक्रवार को समीक्षा बैठक के दौरान निगमायुक्त अनुराग वर्मा ने कहा कि सभी अधिकारी परिषद की बैठक में अपने विषय से संबंधित संपूर्ण जानकारी के साथ उपस्थित रहें, यदि कोई भी अधिकारी परिषद में जानकारी प्रस्तुत नहीं कर पाता है तो उसके विरुद्ध सख्ती के साथ कार्रवाई की जाएगी।
बैठक में उपायुक्त डॉ.प्रणय कमल खरे, कार्यपालन यंत्री विजय दुबे, राजेन्द्र प्रसाद दुबे, पूरनलाल अहिरवार, रमेश चौधरी, शरद बरसैंया, लखनलाल साहू, संजय तिवारी, जावेद खान, आनंद मंगल गुरू, दामोदर ठाकुर, बृजेश तिवारी, राजेश सिंह राजपूत, अरविंद पटैरिया, राजकुमार साहू समेत अन्य की उपस्थिति रही।
ये भी दिए निर्देश
– सभी इंजीनियर्स अपने प्रभार वाले वार्डों में प्रतिदिन निरीक्षण करें व आवश्यक कार्यों को देखें।
– जलप्रदाय, प्रकाश विभाग व लोककर्म विभाग के पार्षद निधि व अन्य निधि के कार्य की पूरी जानकारी वार्डवार तैयार करें।
– सातवें वेतनमान में होने वाले व्यय, प्रधानमंत्री आवास योजना के बीएलसी घटक की जानकारी तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
– जिन ठेकेदारों के विभिन्न कार्यों के कार्यादेश जारी हो गये हैं, उनसे जल्द से कार्य शुरू कराने के निर्देश दिए। स्टेडियम का कार्य करने वाले ठेकेदार को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।
– सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों के निराकरण में लापरवाही बरतने वाले सभी विभाग प्रमुखों पर वेतन वृद्धि रोकने की कार्रवाई की जाएगी।
जिम्मेदार बिना निराकरण किए ही लगा रहे खात्मा
सीएम हेल्प लाइन लोगों के लिए भले ही सहारा और समस्या के निराकरण का माध्यम हो, लेकिन स्थानीय अधिकारियों की मनमर्जी हेल्प लाइन पर भारी पड़ रही है। सीएम हेल्प लाइन के नियमों के अनुसार तब तक शिकायत बंद नहीं की जा सकती है जब तक की शिकायतकर्ता संतुष्ठ न हो, लेकिन यहां शिकायतों का बोझ बढ़ता देख जिम्मेदार निराकरण के बिना ही शिकायतों पर खात्मा लगाने में जुटे हैं। यह स्थिति किसी एक विभाग में नहीं बल्कि अधिकांश विभागों में यह स्थिति है कि जैसे ही शिकायतों की संख्या बढ़ती है वैसे ही अधिकारी शिकायतकर्ता को जानकारी दिए बिना ही शिकायत को निराधार बताते हुए बंद कर देते हैं।

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