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एडवांस टेक्नोलाजी से स्मार्ट बने लोग, हमारा शहर है आगे

locationसागरPublished: May 11, 2018 06:08:44 pm

तकनीक हर दिन अपडेट हो रही है और लोग भी उसके साथ-साथ चल रहे हैं।

National Technical Day

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सागर. मौसम के बदलने का टेक्नोलॉजी से कोई मुकाबला नहीं। दरअसल, टेक्नोलॉजी का मुकाबला है तो आने वाली एडवांस्ड टेक्नोलॉजी से है। तकनीक हर दिन अपडेट हो रही है और लोग भी उसके साथ-साथ चल रहे हैं। हर वर्ष 11 मई को मनाए जाने वाले राष्ट्रीय टेक्नोलॉजी दिवस की शुरुआत 1998 से हुई थी। यह दिवस ऑपरेशन शक्ति के परमाणु परीक्षण के पहले पांच टेस्ट की वर्षगांठ मनाने के लिए मनाया जाता है।
आज के समय में बटन दबाओ तो गाड़ी चालू हो जाती है, बटन दबाओ तो एसी ऑन हो जाता है और बटन दबाने से टीवी भी चालू होती। नई-नई तकनीक आने से कम समय में मुश्किल काम आसानी से हल हो जाते हैं। सच में टेक्नोलॉजी लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गई है। इससे कोई भी दूर नहीं भागना चाहता है, बल्कि सभी इससे जुडऩा चाहते हैं। शहर में भी लोग नई-नई तकनीकी से जुड़ रहे हैं। आइए जानते हैं कि कितने लोग तकनीकी संसाधनों से जुड़े हैं।

नेट बैंकिंग
दो वर्ष पहले ही बैंक में रुपए निकालने या जमा करने के लिए लंबी लाइन लगती थी। इस परेशानी से भी अपडेटेड टेक्नोलॉजी ने छुटकारा दिलवाया। अब बस लैपटॉप खोलो और इंटरनेट के जरिए कहीं भी बैठे अपने बिल भरो। स्टेट बैंक में कार्य कर रहे उदय खेर ने बताया कि इंटरनेट बैकिंग का महत्व लोगों ने समझा है। समय बचाने के लिए लोग इसका सहारा ले रहे हैं।
स्मार्ट फोन यूजर
स्मार्ट यूजर का मतलब यहां मोबाइल फोन से है। अब शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में भी लोग स्मार्ट फोन के यूजर बन गए हैं। पहले घरों में लैडलाइन फोन हुआ करता था। अब घर के लगभग हर सदस्य के पास स्मार्ट फोन है। बाजार में नए-नए फीचर वाले फोन उपलब्ध हैं। मोबाइल विक्रेता विकास केशरवानी बताते हैं कि शहर के लगभग ८० प्रतिशत लोग स्मार्ट फोन चला रहे हैं हर दो साल अपने फोन को बदलकर नए फीचर वाले फोन खरीद भी रहे हैं।
घरों में तकनीक से जुड़ी महिलाएं
त कनीक का उपयोग करने में महिलाएं भी पीछे नहीं हैं। वॉशिंग मशीन, फ्रिज, माइक्रोवेब ओवन, एलइडी या एलसीडी घर-घर में उपयोग हो रही हैं। इलेक्ट्रॉनिक दुकानदार सौरभ अग्रवाल बताते हैं कि शहर में लगभग ५० प्रतिशत घरों में एलइडी लग गई हैं। महिलाएं अपने काम को आसान बनाने के लिए इन उपकरणों का इस्तेमाल कर रही हैं। ३० प्रतिशत घरों में इन संसाधनों का इस्तेमाल हो रहा है। हर दुकान से रोजना ८ से १० प्रोडक्ट की बिक्री होती है।

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