ऐसे में अब यूजीसी ने एक अनूठा कदम उठाया है। छात्रों से रैगिंग का डर निकालने के लिए विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अब उन्हें ऐसी फिल्में दिखाई जाएंगी, जो छात्रों को रैगिंग के प्रति जागरूक करेंगी। इसके तहत देश के सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से रैगिंग के प्रति जागरूक करने वाली फिल्में बनाने को कहा है। यूजीसी ने अच्छी फिल्में बनाने वाले संस्थानों को इनाम देने की भी घोषणा की है।
30 नवंबर तक भेजें
यूजीसी द्वारा जारी नोटिस के अनुसार ‘नेशनल यूनिवर्सिटी फिल्म मेकिंग कॉम्पीटिशन’ में 5 से 10 मिनट की अवधि वाली डॉक्यूमेंट्री या फिक्शन फिल्म बनानी होगी। यूजीसी ने पत्र में साफ किया है कि कोई भी संस्थान अपने यहां से तीन चुनिंदा फिल्में डीवीडी या पैन ड्राइव के जरिए 30 नवंबर तक भेज सकेगा।
यूजीसी द्वारा जारी नोटिस के अनुसार ‘नेशनल यूनिवर्सिटी फिल्म मेकिंग कॉम्पीटिशन’ में 5 से 10 मिनट की अवधि वाली डॉक्यूमेंट्री या फिक्शन फिल्म बनानी होगी। यूजीसी ने पत्र में साफ किया है कि कोई भी संस्थान अपने यहां से तीन चुनिंदा फिल्में डीवीडी या पैन ड्राइव के जरिए 30 नवंबर तक भेज सकेगा।
राष्ट्रीय स्तर पर होगा चुनाव
इसके बाद विशेषज्ञों की कमेटी नेशनल लेवल पर सारी एंट्री में से फस्र्ट, सेकंड और थर्ड मूवी का चुनाव करेगी। इन्हें क्रमश: पांच लाख, तीन लाख और दो लाख रुपए का अवॉर्ड दिया जाएगा। इन फिल्मों को यूजीसी अपनी वेबसाइट पर अपलोड करेगी और उसमें फिल्म मेकर, कॉलेज या विवि को क्रेडिट भी दिया जाएगा। गौरतलब है कि रैगिंग की घटनाओं पर काबू पाने के लिए हाल ही में यूजीसी ने विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों से अपने छात्रावासों के प्रत्येक कमरे में अलार्म बेल लगाने को कहा था। ताकि छात्र रैगिंग की स्थिति में सिर्फ बेल बजाकर ही प्रशासन से सहायता मांग सकें।
इसके बाद विशेषज्ञों की कमेटी नेशनल लेवल पर सारी एंट्री में से फस्र्ट, सेकंड और थर्ड मूवी का चुनाव करेगी। इन्हें क्रमश: पांच लाख, तीन लाख और दो लाख रुपए का अवॉर्ड दिया जाएगा। इन फिल्मों को यूजीसी अपनी वेबसाइट पर अपलोड करेगी और उसमें फिल्म मेकर, कॉलेज या विवि को क्रेडिट भी दिया जाएगा। गौरतलब है कि रैगिंग की घटनाओं पर काबू पाने के लिए हाल ही में यूजीसी ने विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों से अपने छात्रावासों के प्रत्येक कमरे में अलार्म बेल लगाने को कहा था। ताकि छात्र रैगिंग की स्थिति में सिर्फ बेल बजाकर ही प्रशासन से सहायता मांग सकें।