scriptशावकों ने नहीं खोलीं आंखें, राधा की ऐसे हो रही सुरक्षा | Nauradehi Sanctuary Tiger cubs Radha | Patrika News

शावकों ने नहीं खोलीं आंखें, राधा की ऐसे हो रही सुरक्षा

locationसागरPublished: May 19, 2019 03:33:35 pm

Submitted by:

manish Dubesy

एक्सपर्ट के अलावा कर्मचारी भी नहीं जा सकते हैं बसेरा वाले एरिया में

Nauradehi Sanctuary Tiger cubs Radha

Nauradehi Sanctuary Tiger cubs Radha

सागर. नौरादेही अभयारण्य की बाघिन एन १ जो राधा के नाम से जानी जाती है, इस बाघिन और हाल ही के कुछ दिनों पहले जन्में तीन शावकों की सुरक्षा में नए इंतजाम शुरु कर दिए गए हैं। अभयारण्य डीएफओ अंकुर अवधिया ने बताया है कि बाघिन अपने बच्चों के साथ जिस स्थान पर रह रही है उसके एक किलोमीटर के सर्किल में एेसे उपकरण लगाए गए हैं जो बाघिन की मॉनीटिरिंग कर रहे हैं।
इसके अलावा एरिया में एेसे वह कैमरे लगाए गए हैं जिनसे फोटो खींचते समय फ्लेस नहीं चमकता है। अंकुर अवधिया ने बताया है कि इस समय एक्सपर्ट टीम के सदस्यों को ही बाघिन के आसपास के क्षेत्र में आने जाने की अनुमति है, यहां तक की अभयारण्य के कर्मचारियों को भी एरिया में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है।
कान्हा नेशनल पार्क में पलकर बढ़ी हुई
डीएफओ अवधिया से मिली जानकारी में सामने आया है कि बाघिन एन १ को फैमली के साथ रहने का अहसास नहीं है। क्योंकि पेंच ट्राइगर रिजर्व में इस बाघिन की पूरी फैमली को शिकारियों द्वारा जहर दे दिया गया था, जिसमें यह भी शामिल थी। काफी उपचार के बाद इस बाघिन की जान बचा ली गई और यह कान्हा नेशनल पार्क में पलकर बढ़ी हुई। पहले तो यह भी उम्मीद नहीं थी कि जहरखुरानी की वजह से यह बाघिन भी कभी मां बन सकेगी। फिलहाल अपने बच्चों के साथ इस बाघिन को किसी हरकत का अहसास होता है तो परिस्थितियां काफी बदल सकती हैं। एेसा भी हो सकता है कि यह किसी तरह का खतरा समझकर बच्चों को छोड़कर चली जाए जो इन दुधमुहे शावकों के लिए बहुत खराब स्थिति होगी। यही कारण है कि बाघिन की सुरक्षा में चूक नहीं होने दे रहे।
बाघिन एन १ ने ८-९ मई की रात तीन शावकों को जन्म दिया था। डीएफओ अंकुर अवधिया ने बताया कि अभी तक इन शावकों ने अपनी आंखें नहीं खोलीं हैं। करीब एक सप्ताह बाद शावकों में चलने फिरने की हरकत शुरु होगी। अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि बाघिन इन्हें गुफा से बाहर कब लाएगी। यह आंका जा सकता है कि टाइगर्स अपने बच्चों को दो से तीन माह के होने पर ही गुफा से बाहर लाते हैं।

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