होंगे चार तीर्थ क्षेत्रों के दर्शन
समिति के लोग एक माह से मेहनत करके झांकी को सजा रहे हैं। यहां माता के दर्शनों के लिए जाने के लिए शेर का मुंह बनाया गया है। जिसमें श्रद्धालु प्रवेश करेंगे। गुफा में बाबा अमरनाथ, आकाशगंगा, ज्वालादेवी और वैष्णो देवी के दर्शन कराए जाएंगे। गुफा को 1500 फीट लंबी बनाया गया है। कमेटी के सदस्यों ने बताया कि एक माह से यहां सदस्य दिन-रात मेहनत करके झांकी को तैयार कर रहे हैं। माता झरनों के बीच विराजमान होंगी। बाबा अमरनाथ के दर्शन के लिए बर्फीले पहाड़ से होकर श्रद्धालु पहुंचेंगे।
समिति के लोग एक माह से मेहनत करके झांकी को सजा रहे हैं। यहां माता के दर्शनों के लिए जाने के लिए शेर का मुंह बनाया गया है। जिसमें श्रद्धालु प्रवेश करेंगे। गुफा में बाबा अमरनाथ, आकाशगंगा, ज्वालादेवी और वैष्णो देवी के दर्शन कराए जाएंगे। गुफा को 1500 फीट लंबी बनाया गया है। कमेटी के सदस्यों ने बताया कि एक माह से यहां सदस्य दिन-रात मेहनत करके झांकी को तैयार कर रहे हैं। माता झरनों के बीच विराजमान होंगी। बाबा अमरनाथ के दर्शन के लिए बर्फीले पहाड़ से होकर श्रद्धालु पहुंचेंगे।
एक ही प्रतिमा में होंगे मां के नौ स्वरूपों के दर्शन
एक सदी पूर्व पूर्वजों द्वारा शुरू कई गई मां काली की प्रतिमा को आकार देने की परंपरा पुरव्याऊ टौरी निवासी ठाकुर परिवार की तीसरी पीढ़ी आज भी कायम किए हुए है। खास बात यह है कि नौ दिन तक चलने वाले दुर्गोत्सव के अंतिम दिन मां दुर्गा की प्रतिमा हजारों श्रद्धालु कांधों पर निकालते हैं। 30 साल से माता की मूर्ति को राजेंद्र सिंह राजपूत बना रहे हैं। इस वर्ष भी प्रतिमा बनकर तैयार हो गई है। इनके दादा हीरासिंह राजपूत ने 1905 में प्रतिमा को बनाना शुरू किया था। राजेंद्र ने बताया कि वह दिल्ली में व्यापार करते हैं, लेकिन दुर्गोत्सव के 10 दिन पहले सागर आ जाते हैं। 30 साल से प्रतिमा को आकार दे रहे हैं। प्रतिमा को विराजमान करने के लिए पुरव्याऊ में आकर्षक पंडाल बनाया जा रहा है।
एक सदी पूर्व पूर्वजों द्वारा शुरू कई गई मां काली की प्रतिमा को आकार देने की परंपरा पुरव्याऊ टौरी निवासी ठाकुर परिवार की तीसरी पीढ़ी आज भी कायम किए हुए है। खास बात यह है कि नौ दिन तक चलने वाले दुर्गोत्सव के अंतिम दिन मां दुर्गा की प्रतिमा हजारों श्रद्धालु कांधों पर निकालते हैं। 30 साल से माता की मूर्ति को राजेंद्र सिंह राजपूत बना रहे हैं। इस वर्ष भी प्रतिमा बनकर तैयार हो गई है। इनके दादा हीरासिंह राजपूत ने 1905 में प्रतिमा को बनाना शुरू किया था। राजेंद्र ने बताया कि वह दिल्ली में व्यापार करते हैं, लेकिन दुर्गोत्सव के 10 दिन पहले सागर आ जाते हैं। 30 साल से प्रतिमा को आकार दे रहे हैं। प्रतिमा को विराजमान करने के लिए पुरव्याऊ में आकर्षक पंडाल बनाया जा रहा है।
जंगल के राजा बुझाएंगे प्यास
मानसनगर के विद्यापुरम में श्रीशिव शक्ति मंदिर दुर्गा समिति कमेटी के सदस्य झांकी की तैयारी को अंतिम रूप दे रही है। यहां झांकी में नदी बनाई जा रही है, जिसमें जंगल के राजा शेर, मां की सवारी करते नजर आएंगे। शेर को नदी में पानी पीकर प्यास बुझाते हुए दिखाया जा रहा है। कमेटी के सदस्यों ने बताया कि एक सप्ताह से यहां झांकी को तैयार किया जा रहा है।
मानसनगर के विद्यापुरम में श्रीशिव शक्ति मंदिर दुर्गा समिति कमेटी के सदस्य झांकी की तैयारी को अंतिम रूप दे रही है। यहां झांकी में नदी बनाई जा रही है, जिसमें जंगल के राजा शेर, मां की सवारी करते नजर आएंगे। शेर को नदी में पानी पीकर प्यास बुझाते हुए दिखाया जा रहा है। कमेटी के सदस्यों ने बताया कि एक सप्ताह से यहां झांकी को तैयार किया जा रहा है।