मंडेला ने साम्राज्यवाद और नस्लभेद का उसी धरती पर विरोध किया, जिस पर गांधी ने स्वयं को खोज निकाला था। 27 वर्ष तक लगातार बंदी रहकर नेल्सन मंडेला भी आग में तपे हुए कुंदन की तरह बाहर निकले। दक्षिण अफ्रीका से गांधी के भारत आने के बाद देश को नए गांधी के रूप में नेल्सन मंडेला मिल गए थे। मंडेला ने गांधी जी के विचारों को पढ़ा और उनसे प्रेरणा ली। – सुखदेव प्रसाद तिवारी, सरस्वती वाचनालय सचिव
नेल्सन मंडेला की सोच में गांधी के विचार थे। उन्होंने सार्वजनिक रूप से गांधी जी को स्वीकार किया। पहले वे हिंसक लड़ाई लडऩा चाहते थे लेकिन गांधी जी को पढऩे के बाद उन्होंने अहिंसा का रास्ता अपनाया। अफ्रीका के लोगों के लिए वे दूसरे गांधी ही थे। नस्लभेदी अत्याचार के खिलाफ अफ्रीकी जनता की प्रतिष्ठा के लिए सतत आंदोलन में मंडेला ने जीवन समर्पित कर दिया। – रघु ठाकुर, समाजवादी चिंतक
दक्षिण अफ्रीका हमारे राष्ट्रपिता गांधी को अपनी निधि मानता है, वैसे ही भारत ने भी नेल्सन मंडेला को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया है। दुनिया भर में इन दोनों विभूतियों से प्रेरणा लेने वाले करोड़ों लोग हैं। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने अगर महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित कर रखा है तो नेल्सन मंडेला का जन्मदिन 18 जुलाई भी अंतरराष्ट्रीय मंडेला दिवस के रूप में मनाया जाता है। -प्रो. सुरेश आचार्य, हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष