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निर्यापक मुनि सुधा सागर ने बच्चों के सिर पर चंदन से लिखे जैन धर्म के मंत्र, 7000 से ज्यादा को बना दिया श्रावक

भाग्योदय तीर्थ में रविवार को उत्साह भरा माहौल नजर आया। यहां सुबह से ही माता-पिता अपने बच्चों का मुंडन कराकर मौजी बंधन संस्कार लिए ला रहे थे। करीब 7 हजार बच्चे और उनके परिवार के लोग यहां एकजुट हुए। चारों ओर भीड़ नजर आ रही थी।

सागरNov 18, 2024 / 08:06 pm

रेशु जैन

bhagyoday

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संस्कार के लिए देशभर भाग्योदय तीर्थ में पहुंचे बच्चे, विधि-विधान के साथ कराए संस्कार

सागर. भाग्योदय तीर्थ में रविवार को उत्साह भरा माहौल नजर आया। यहां सुबह से ही माता-पिता अपने बच्चों का मुंडन कराकर मौजी बंधन संस्कार लिए ला रहे थे। करीब 7 हजार बच्चे और उनके परिवार के लोग यहां एकजुट हुए। चारों ओर भीड़ नजर आ रही थी। दोपहर 1 बजे मुख्य पंडाल में विधि-विधान के साथ मौजी बंधन संस्कार की विधि आरंभ की गई। आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के 53 वें पदारोहण दिवस के अवसर पर कार्यक्रम संपन्न हुआ। निर्यापक मुनि सुधा सागर महाराज ने सर्वप्रथम णमोकार मंत्र और मंगल मंत्र बच्चों को सुनाया। मुनि कहा कि आज से हर शुभ कार्य करने पहले आपको णमोकार मंत्र पढ़ना है। यह मंत्र आज से सभी का गुरु मंत्र है। इसके बाद महाराज ने बच्चों संस्कार विधि प्रारंभ की। जिसमें बच्चों के सिर पर चंदन से मंत्र लिखे गए। बारी-बारी के साथ संस्कार की विधि संपन्न की गई। महाराज ने कहा कि 8 वर्ष की उम्र में बच्चे अभिषेक और पूजन के पात्र होते हैं। अब यह श्रावक बन गए हैं। आज यहां श्रावक संस्कार विधि हुई है।देशभर के बच्चे हुए शामिलकार्यक्रम में शामिल होने के लिए सिर्फ सागर ही नहीं बल्कि देशभर से बच्चे पहुंचे। बच्चों के साथ उनके भी संस्कार हुए जो अविवाहित हैं। मौजी बंधन संस्कार में गुजरात, हरियाला, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश और पूरे मप्र के जिलों से बच्चे शामिल हुए। कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के पहले सभी को हथकरघा का धोती-दुपट्टा, मुकुट और बैच सहित अन्य सामान की किट प्रदान की गई। पंडाल में कतार से बैठे बच्चों के बारी-बारी संस्कार किए गए।
जैन धर्म की है प्राचीन परंपरा

जैन-धर्म में मौजी बंधन की परंपरा अतिप्राचीन है। इसका प्रथम उल्लेख राष्ट्रकूट वंशी राजा अमोघवर्ष के गुरु आचार्य जिनसेन ने किया है। उनके अनुसार प्रत्येक जैन बालक को विद्यारंभ से पहले मौजी बंधन संस्कार कराना चाहिए। मुनियों के निर्देशन में महिला एवं पुरुष भी प्रौढ़ सम्यक संस्कार विधि संपन्न करवा सकते हैं। मौजी बंधन में मुंडन करवाकर मुनियों के हाथों से उनपर जैन-धर्म संबंधी मंत्र से चंदन लिखे जाते हैं। जैन-धर्म के मूल एवं अनिवार्य नियमों का प्रण दिलाया जाता है। मौजी बंधन कराने के बाद एक बालक पूर्ण रूप से जैन श्रावक बन जाता है। वह जैन धर्म संबंधी धार्मिक अनुष्ठान करने का पात्र होता है।
वर्षों से ही संस्कार कराने की इच्छा

मुंबई से आए आयुष जैन ने बताया कि वर्षों की इच्छा आज पूरी हो गई। उन्होंने बताया कि वे मुनि सुधा सागर के हाथों से मौजी बंधन संस्कार कराकर धन्य हो गए। पूरे परिवार के साथ यहां संस्कार कराने आया था। उन्होंने बताया कि यहां अविवाहित युवकों को मौका मिला है।
गुजरात से आकर कराए संस्कार

गुजरात के अहमदाबाद के पर्व जैन और अतिशय जैन ने बताया कि वे गुजरात से यहां संस्कार कराने के लिए पहुंचे। उन्होंने बताया कि माता-पिता उन्हें लेकर आए हैं। अतिशय ने बताया कि अहमदाबाद से उनके दोस्त भी संस्कार कराने के लिए यहां आए हैं।
ऐसे चला दिनभर कार्यक्रम

– सुबह 6 बजे से शांतिधारा-अभिषेक

– सुबह 8.30 बजे से प्रवचन

– सुबह 10.30 मुनि संघ की आहार चर्या

– दोपहर 1 बजे से मौजी बंधन संस्कार
– शाम 6 बजे से जिज्ञासा समाधान कार्यक्रम

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