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एक भी शराब दुकान का नहीं फूड लाइसेंस, जांच से कतरा रहा विभाग

locationसागरPublished: Oct 23, 2019 09:55:25 pm

-जिले में खाद्य एवं औषधी प्रशासन के पाले में आ चुकी सैंपलिंग की कार्रवाई, लेकिन जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान
 

एक भी शराब दुकान का नहीं फूड लाइसेंस, जांच से कतरा रहा विभाग

एक भी शराब दुकान का नहीं फूड लाइसेंस, जांच से कतरा रहा विभाग

सागर. चाट पकोड़े से लेकर पेय पदार्थ बेचने वाले दुकानदारों को फूड लाइसेंस लेना जरूरी है। खाद्य एवं औषधी प्रशासन इस मामले में सख्त रवैया अपनाए हुए हैं। लेकिन शराब के मामले में विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। शराब दुकान संचालकों को फूड लाइसेंस बनवाना जरूरी है। हैरानी की बात यह है कि खाद्य एवं औषधी प्रशासन ने अब तक इन शराब दुकान संचालकों को यह लाइसेंस बनवाने के लिए निर्देश नहीं दिए हैं। एेसे में पूरे जिले में बगैर फूड लाइंसेंस के शराब धड़ल्ले से बिक रही है।

इधर, शराब दुकानें सैंपलिंग के दायरे में भी आ चुकी हैं, लेकिन विभाग ने अब तक एक भी दुकान पर सैंपलिंग नहीं की है। बता दें कि शराब ठेके भी फूड सेफ्टी एक्ट के दायरे में आ गए हैं। इसके लिए सरकार ने दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। फूड सेफ्टी ऑफिसर हर माह शराब ठेके से सैंपल लेंगे और इनमें अल्कोहल की मात्रा की जांच करेंगे। शराब में मिलावट मिली तो ठेकेदार जेल जाएंगे। इसके साथ ही ठेकेदारों को दुकानों में स्वच्छता का भी ध्यान रखना होगा।

-यह मांगी जाना है जानकारी
इस संबंध में खाद्य विभाग को आबकारी विभाग से जिले में संचालित शराब की सभी दुकानों की सूची, पते सहित मांगी जाना है, लेकिन अभी यह प्रक्रिया शुरू ही नहीं हुई है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) की ओर से जारी नोटिफिकेशन की माने तो अब ठेकेदार बिना खाद्य लाइसेंस के शराब नहीं बेच सकते हैं। हैरानी की बात यह है कि विभाग की ओर से जिले के सभी शराब ठेकेदारों को खाद्य लाइसेंस बनवाने के लिए सूचित भी नहीं किया है।

-मौत का कर रहे इंतजार

कई बार देखा जाता है कि शराब में इथाइल अलकोहल की मात्रा ज्यादा होने से उसका सेवन करने वाले लोग मर जाते हैं या मानसिक रूप से बीमार हो जाते हैं। भविष्य में ऐसा न हो या उन्हें शराब पीने से परेशानियां न झेलनी पड़ें, इसके लिए शराब की सैंपलिंग की जाना जरूरी है, लेकिन लगता है कि विभाग इस तरह की घटना होने का इंतजार कर रहा है।

-क्या है जुर्माने का प्रावधान
जानकारी के अनुसार शराब की दुकानों के लाइसेंस नहीं लेने पर उनके खिलाफ एफएसएसए-2006 एक्ट की धारा 63 के तहत प्रकरण बनाया जाएगा। इसके तहत दोषी पाए जाने पर छह माह का कारावास व पांच लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

 

बॉटलिंग प्लांट न होने से अब जिले में सैंपलिंग नहीं की जाती। क्योंकि देशी और अंग्रेजी शराब सीधे ब्रेबरीज (शराब फैक्ट्री) से जिले में आती है। विभाग के अधिकारी इन ब्रेबरीज पर ही सैंपलिंग की कार्रवाई करते हैं।

केदार शर्मा, जिला आबकारी अधिकारी

 

स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो चुकी है। शराब के कारोबार की जिम्मेदारी आबकारी विभाग के पास रहेगी। वहीं, शराब की सैंपलिंग और फूड लाइंसेंस का काम खाद्य एवं औषधी प्रशासन ही देखेगा। सागर में सैंपलिंग क्यों नहीं हो रही यह सवाल खाद्य अधिकारी से करें। मप्र में समय-समय पर शराब की सैंपलिंग की जा रही है।

अरविंद कुमार पथरोल, उपायुक्त खाद्य एवं औषधी प्रशासन

 

फैक्ट फाइल

३२-अंग्रेजी
७२-देशी २१७ करोड़- कारोबार

१७० करोड़- बिक चुकी शराब

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