आरटीइ के तहत निजी स्कूलों में खर्च
२०११-२०१२ ५३ लाख ९६ हजार ४९०
२०१२-२०१३ ३५ लाख ३८ हजार २६८
२०१३-२०१४ २ करोड़ ४१ लाख ९ हजार १७५
२०१४-२०१५ १ करोड़ ८५ लाख ८६ हजार ४३२
२०१५-२०१६ ४ करोड़ ७९ लाख ७२ हजार २२४
गांवों में भी रुचि नहीं
ग्रामीण क्षेत्रों में भी अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में प्रवेश दिलाने की बजाय निजी स्कूलों में दाखिला कराने में रुचि ले रहे हैं। जिससे सरकारी स्कूलों में प्रवेश दर कम होने से सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को अब प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर अपने स्कूलों की मार्केटिंग करनी पड़ रही है। घर-घर जाकर शिक्षक सर्व शिक्षा अभियान में जुट गए हैं लेकिन बच्चे नहीं बढ़ रहे हैं।
हर माह तीन लाख
शासन द्वारा ३० बच्चों की संख्या पर प्राथमिक शाला में एक शिक्षक की नियुक्ति की गई है, लेकिन स्थिति उलट है। स्कूल शिक्षा विभाग शिक्षकों को मुफ्त का वेतन बांट रहा है, क्योंकि स्कूलों में बच्चे नहीं है। जानकारी के अनुसार हर स्कूल में शिक्षकों को लगभग ३ लाख रुपए का वेतन मिलता है।