जिम्मेदार अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान
सागर
Published: March 29, 2022 09:08:02 pm
बीना. गर्मी का मौसम आते ही पानी की समस्या से निपटने के लिए नए स्रोतों की तलाश शुरू की जाती है, लेकिन पुराने स्रोत कुओं का संरक्षण नहीं किया जाता है। यदि इन कुओं की सफाई कर दी जाए तो पानी की समस्या से निजात मिल सकती है। क्योंकि पहले इन कुओं का उपयोग किया जाता था और इनमें भरपूर पानी भी था, लेकिन अब यह स्रोत उपेक्षा के शिकार हो गए हैं। शहर में कहीं भी पानी की समस्या सामने आती हैं, तो नया खनन कर पानी तलाशने की उम्मीद की जाती है और इनमें भी पानी नहीं निकलता है, लेकिन कभी भी पुराने जलस्रोतों को संरक्षित करने का काम नहीं किया जाता है। खिरिया वार्ड, आचवल वार्ड, पुलिस थाना परिसर, मंडी परिसर, सुपर मार्केट सहित अन्य जगहों पर करीब दो दर्जन कुआं थे। इनमें से कुछ कुओं का तो अस्तित्व भी खत्म हो गया और कुछ जालियों, पत्थर से ढंक दिया है, जो कुआं सूख गए हैं उनमें लोग कचरा डालने लगे हैं। वर्तमान में भी ऐसे कुआं हैं, जिनमें पानी है। इनकी सफाई न होने के कारण पानी उपयोग में नहीं आ पाता है। यदि इन कुओं का संरक्षण फिर से किया जाए तो यह आज भी लोगों की प्यास बुझा सकते हैं। साथ ही यह कुआं बारिश में वॉटर रिचार्जिंग का कार्य भी कर सकते हैं, जिससे जलस्तर बढ़ेगा।
ट्यूबवेलों पर ज्यादा जोर
नपा और ग्रामीण क्षेत्रों में कुओं के संरक्षण की तरफ ध्यान नहीं दिया जाता है। सिर्फ ट्यूबवेल खनन पर जोर देते हैं, जबकि कुआं कम लागत में भी तैयार किया जा सकता है। ट्यूबवेलों की कारण जलस्तर भी नीचे जा रहा है। कुछ क्षेत्रों में चार सौ से पांच सौ फीट खनन होने पर भी पानी नहीं निकल रहा है।
रेलवे क्षेत्र में एक कुआं को किया गया है संरक्षित
रेलवे क्षेत्र में बहुत से कुआं हैं और पुरानी लोको के पास बने एक कुएं को रेलवे ने संरिक्षत किया गया है। इसमें पानी भी रहता है। इसी तरह यदि अन्य कुओं को संरक्षित किया जाएगा तो जलस्तर बढ़ाने और लोगो को पानी उपलब्ध कराने में यह कारगर होंगे।
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