दरअसल, जिले में ग्राहक सुविधा के लिए एसबीआई सहित अन्य बैंकों के संचालित ७५ से ज्यादा बूथ इन दिनों कारगर साबित नहीं हो रहे हैं। अधिकांश एटीएम मशीनों में तो एक सप्ताह से ही रुपए नहीं डाले गए हैं, जिससे इन एटीएम बूथों तक पहुंचने वाले लोग खाली हाथ ही वापस लौट रहे हैं। एटीएम मशीन से रुपए नहीं निकलने से परेशान लोग यहां-वहां भटकते हुए भी देखे जा रहे हैं।
हर बढ़ते दिन के साथ नगद को लेकर बिगड़ रहे हालात के मामले में वैसे तो राष्ट्रीयकृत बैंकों के अधिकारियों के पास कोई जबाब नहीं हैं, लेकिन नोटबंदी के समय जैसे बन रहे हालात पर पत्रिका ने जब सच्चाई जाननी चाही तो समस्या की तस्वीर कुछ और ही नजर आई। जानकारी के अनुसार नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक से दमोह जिले में आई करीब एक हजार करोड़ की नई करंसी बैंकों द्वारा तो लोगों को बांट दी गई, लेकिन करंसी का रोटेशन बैंक में नहीं होने के कारण अब बैंकों के पास ही नगद खत्म होता जा रहा हैं। इसका पहला असर एटीएम बूथों पर ही देखने मिलने लगा है।
बैंकों की तरफ से हैं हेवी अलर्ट
जानकारी के अनुसार नकदी का रोटेशन नहीं होने के कारण हजार करोड़ की नई करंसी भी कम पड़ती नजर आ रही है। यह करंसी बाजार में फैलने के अलावा जमाखोरों द्वारा सीज कर ली गईं हैं। ऐसे में मौजूदा स्थिति में नकद रोटेशन १० प्रतिशत तक की स्थिति पर पहुंच चुका है। हालात, यह बन चुके हैं कि अब बैंकों को फिर से नकद के लिए रिजर्व बैंक के सामने हाथ फैलाने पड़ रहे है। हालांकि, सच यह है कि नगदी को लेकर बैंक पहले ही हैवी अलर्अ कर चुका है, जिसके लिए बैंकों द्वारा ऑफीशियल कार्रवाई भी की है, लेकिन उसे लेकर अब तक कोई प्रॉपर रिस्पॉस नहीं आ सका हैं।
जानकारी के अनुसार नकदी का रोटेशन नहीं होने के कारण हजार करोड़ की नई करंसी भी कम पड़ती नजर आ रही है। यह करंसी बाजार में फैलने के अलावा जमाखोरों द्वारा सीज कर ली गईं हैं। ऐसे में मौजूदा स्थिति में नकद रोटेशन १० प्रतिशत तक की स्थिति पर पहुंच चुका है। हालात, यह बन चुके हैं कि अब बैंकों को फिर से नकद के लिए रिजर्व बैंक के सामने हाथ फैलाने पड़ रहे है। हालांकि, सच यह है कि नगदी को लेकर बैंक पहले ही हैवी अलर्अ कर चुका है, जिसके लिए बैंकों द्वारा ऑफीशियल कार्रवाई भी की है, लेकिन उसे लेकर अब तक कोई प्रॉपर रिस्पॉस नहीं आ सका हैं।
बनने लगे नोटबंदी जैसे हालात
जिले में एक बार फिर नोटबंदी जैसे हालात बन गए है। हर जगह नगद की मारामारी देखने मिल रही है। एटीएम ने भी रुपए उगलने बंद कर दिए है। ऐसे में परेशान लोग एक बार फिर नोटबंदी के समय जैसे ही इन दिनों इस एटीएम से उस एटीएम के चक्कर काटते हुए नजर आ रहे हैं। जहां से उनके हाथ निराशा ही लग रही है। शनिवार को शहर के ७० प्रतिशत एटीएम कैशलेस ही नजर आए। जिनके शटर भले ही बैंकों द्वारा डाउन नहीं किए गए हो, लेकिन हकीकत में नो कैश का मैसेज इन मशीनों से लोगों को मिलता रहा। नोटबंदी के समय जैसे हालात बनने से अब इक्का-दुक्का चालू एटीएम बूथों पर लोगों की भीड़ भी नजर आने लगी हैं।
जिले में एक बार फिर नोटबंदी जैसे हालात बन गए है। हर जगह नगद की मारामारी देखने मिल रही है। एटीएम ने भी रुपए उगलने बंद कर दिए है। ऐसे में परेशान लोग एक बार फिर नोटबंदी के समय जैसे ही इन दिनों इस एटीएम से उस एटीएम के चक्कर काटते हुए नजर आ रहे हैं। जहां से उनके हाथ निराशा ही लग रही है। शनिवार को शहर के ७० प्रतिशत एटीएम कैशलेस ही नजर आए। जिनके शटर भले ही बैंकों द्वारा डाउन नहीं किए गए हो, लेकिन हकीकत में नो कैश का मैसेज इन मशीनों से लोगों को मिलता रहा। नोटबंदी के समय जैसे हालात बनने से अब इक्का-दुक्का चालू एटीएम बूथों पर लोगों की भीड़ भी नजर आने लगी हैं।
ऐसे जाम हो गया नकद
1- नोटबंदी के बाद भारी तादाद में पुराने ५०० और १००० के नोट जो लोगों द्वारा बैंक से बदले गए थे, उन्हें २००० के नोट से रिप्लेस कर वापस सीज करने की संभावना।
1- नोटबंदी के बाद भारी तादाद में पुराने ५०० और १००० के नोट जो लोगों द्वारा बैंक से बदले गए थे, उन्हें २००० के नोट से रिप्लेस कर वापस सीज करने की संभावना।
2- शुरु में २००० के नोट के बंद होने की खबर आई थी, लेकिन अब तक कोई निर्णय नहीं होने से अब यह नोट भी बाजार से बाहर होना।
3- पांच के नए नोट लगातार आते रहना और बाजार में फैलना।
4- बैंकों द्वारा नकद रोटेशन के प्रतिशत में लगातार आ रही गिरावट में प्रॉपर मॉनीटरिंग नहीं करना।
5- डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट फेल होना।
6- कैशलेस प्रोजेक्ट शुरू होते ही बैंकों द्वारा तमाम टैक्स लोगों पर थोपना, जिससे स्कीम फेल होना।
7- लोगों द्वारा नकद को सीज करना। फैक्ट फाइल
कुल एटीएम बूथ- ७५ करीब सभी बैंक
शनिवार को बंद रहे- ७० करीब
कुछ समय के लिए खुले- ७ करीब
एक सप्ताह से बंद- २५ करीब
हमारे पास नगद की कमी है। ऐसे में जितना पैसा हमारे पास आता जा रहा है, उसे एटीएम में भरने और बैंक यूजेज के हिसाब से रखा जा रहा है। कैश रोटेशन नहीं होना निश्चित ही बड़ी वजह है। जिस पर सरकार को समीक्षा करना चाहिए। निश्चित ही आगामी दिनों में हालात बिगड़ सकते है।
एमएस सिमोलिया, महाप्रबंधक एसबीआई दमोह
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