प्रभु आराधना ही संसार से पार करा सकती है
सागरPublished: Sep 18, 2019 02:33:34 pm
प्रभु आराधना ही संसार से पार करा सकती है
प्रभु आराधना ही संसार से पार करा सकती है
मुनि अभयसागर ने दिए प्रवचन
खुरई. प्राचीन जैन मंदिर में मुनिश्री अभयसागर महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि स्त्री पर्याय से कभी मुक्ति संभव नहीं। इस पर्याय से मुक्ति के लिए सबसे पहले मायाचारी का त्याग करना होगा। नवधा भक्तिपूर्वक पूर्ण विनय एवं समर्पण के साथ ही प्रभु आराधना ही व्यक्ति को इस संसार से पार करा सकती है। आराधना की कभी व्याधना न हो इस बात का भी हमें ध्यान रखना होगा। अपने परिवार के भरण-पोषण के साथ ही जो व्यक्ति दीनहीन, गरीब व्यक्तियों का ध्यान रखता है सच्चे अर्थों में वही धर्मात्मा हुआ करता है।
मुनिश्री ने कहा कि रत्नत्रय वह अमूल्य निधि है जिसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती। रत्नत्रय रूपी अमूल्य निधि को कर्मरूपी लुटेरों से बचाने का हमें सतत प्रयास करना होगा। तनरंजन और मनोरंजन से परे निरंजन की बात करने वाले विरले ही व्यक्ति हुआ करते हैं। विनय एवं वैयावृत्ति सीखे बिना हम किसी की संल्लेखना भी नहीं करा सकते। प्रवचन के पूर्व बाहर से आए श्रद्धालुओं ने मुनिश्री को श्रीफल भेंट कर आषीर्वाद लिया। मुनिश्री प्रभातसागर महाराज के आज केषलोंच संपन्न हुए। प्रवचन सभा का संचालन राहुल बड्डे ने किया।
विमानोत्सव पर कल निकलेगी शोभायात्रा
19 सितंबर को विमानोत्सव पर श्रीजी की शोभायात्रा स्वर्ण, रजत एवं कांस्य के विमानों पर मुनिश्री अभयसागर, मुनिश्री प्रभातसागर, मुनिश्री निरीहसागर महाराज के सानिध्य में निकलेगी।
विमानोत्सव का शुभारंभ दोपहर 12 बजे से प्राचीन जैन मंदिर से होगा जो चंद्रप्रभा जिनालय, अतिषय क्षेत्र नवीन जैन मंदिर एवं आदिनाथ जिनालय से होते हुए पुरानी गल्ला मंडी पहुंचेगी। वहां पर श्रीजी का अभिषेक एवं प्रवचन आयोजित किए जाएंगे। 22 सितंबर को लाल मंदिर गुरूकुल में मुनि संघ के सानिध्य में क्षमावाणी पर्व मनाया जाएगा।