सगर. आज विश्व ओजोन अथवा ‘ओजोन परत संरक्षण दिवसÓ है। ओजोन लेयर पृथ्वी का सुरक्षा कवच माना जाता है, लेकिन पृथ्वी पर बढ़ रहे प्रदूषण के कारण ये लेयर घटती जा रही है। शहर की बात करें तो बढ़ते वाहनों के बाद भी हरियाली की वजह से वायु प्रदूषण नहीं बढ़ा है। वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इस वर्ष ही विभाग द्वारा जिलेभर में 60 लाख पौधे रोपे गए हैं, जिसमें कई शासकीय विभागों ने सहभागिता दिखाई है और पौधों की रक्षा का भी संकल्प लिया है।
वनस्पति शास्त्र विशेषज्ञ डॉ. अजय शंकर मिश्रा ने बताया कि ओजोन ओ३ है। हम ऑक्सीजन और ऑक्सीजन (ओ२) को जोड़ते हैं तो ओ४ हो जाएगा। इसलिए यह जानना जरूरी है कि ओजोन कैसे बनती है। ओ३ गैस स्पार्किंग की गंध को कहते हैं। मिश्रा ने बताया कि जब भी बिजली की स्पार्किंग होती है तो एक गैस की गंध आती है, वही ओजोन है। उन्होंने बताया कि भारत में जैसे बिजली के खंभे लगाए गए हैं, उनसे स्पार्किंग की आशंका अधिक रहती हैं। वहीं बारिश के समय गरज-चमक होने से इसकी आशंका बढ़ जाती है। इसलिए भारत ओजोन गैस बनाने में सबसे आगे है।
पेड़-पौधों से मिलेगी शुद्ध हवा: घर में लगे पौधे न केवल घर का वातावरण अच्छा बनाए रखते हैं बल्कि खूबसूरत लुक भी देते हैं। रात के समय अधिकतर पौधे कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं, जो हमारी सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं। इसी डर की वजह से लोग अपने घर में पौधों को लगाने के बजाय, घर के बाहर उन्हें लगाना पसंद करते हैं लेकिन कुछ पौधे ऐसे भी हैं जो रात को कार्बन डाइऑक्साइड के बजाय ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं। ऑक्सीजन हमारी सेहत के साथ-साथ घर का वातावरण भी अच्छा बनाए रखती है। इससे हमें शुद्ध हवा मिलती है। एलोबेरा, नीम और ऐरेका प्लम जैसे पौधे रात में भी ऑक्सीजन छोड़ते हैं। जिस पेड़ की पत्तियों का एरिया ज्यादा बड़ा होता है वह अधिक ऑक्सीजन छोड़ता है। इसमें पीपल का पेड़ शामिल है।
ऐसे शुरू हुआ विश्व ओजोन दिवस
वर्ष 1995 के बाद से हर साल 16 सितंबर को ओजोन परत के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय ओजोन दिवस का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन मुख्यत: ओजोन परत के क्षरण के बारे में लोगों को जागरूक करने और इसे बचाने के बारे में संभव समाधान का खोज करने के लिए मनाया जाता है। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करने की
स्मृति में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने संकल्प के तहत इस तिथि को चुना था।
यह कहलाती है ओजोन लेयर
ओजोन का एक अणु ऑक्सीजन के तीन अणुओं के जुडऩे से बनता है। इसका रंग हल्का नीला होता है और इससे एक विशेष प्रकार की तीव्र गंध आती है। भूतल से लगभग 50 किलोमीटर की ऊंचाई पर वायुमंडल ऑक्सीजन, हीलियम, ओजोन, और हाइड्रोजन गैसों की परतें होती हैं, जिनमें ओजोन परत धरती के लिए एक सुरक्षा कवच का कार्य करती है, क्योंकि यह ओजोन परत सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैगनी किरणों से धरती पर मानव जीवन की रक्षा करती है। सूरज से आने वाली ये पराबैगनी किरणें मानव शरीर की कोशिकाओं की सहन शक्ति के बाहर होती है।
क्यों हो रहा ओजोन परत का क्षय
ओजोन परत के क्षय का मुख्य कारण कुछ और नहीं बल्कि हम खुद हैं। मानवीय क्रियाकलापों ने अज्ञानता के चलते वायमंडल में कुछ ऐसी गैसों की मात्रा को बढ़ा दिया है जो धरती पर जीवन रक्षा
करने वाली ओजोन परत को नष्ट कर रही हैं।