नीवकंठ कॉलोनी में रहने वाले वरिष्ठ अनुवाद अधिकारी सीपी शर्मा अपने व्यस्त समय के बाद ये पौधरोपण करते हैं। घर में जगह की कमी के कारण टैरेस गार्डन में 300 से अधिक पौधे लगा रखे हैं। वे धरती के संतुलन में अहम योगदान निभाने वाले पक्षियों के लिए 12 माह दाना-पानी, मिट्टी के बर्तन आदि की व्यवस्था छत और कार्यालय आदि में करते रहते हैं।
– ओद्यौगीकरण के बाद कार्बनड़ाई आक्साइड का उत्सर्जन पिछले सालों में कई गुना बड़ा है। इन गैसों का उत्सर्जन आम प्रयोग के उपकरणों फ्रिज, कम्प्यूटर, स्कूटर और कार आदि से है।
– इस समय विश्व में प्रतिवर्ष करोड़ों टन से अधिक प्लासटिक का उत्पादन हो रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। प्लासटिक के प्रभाव से थलीय प्राणी के साथ समुद्री प्राणी भी अछूते नहीं है।
– ग्रीन हाउस गैस भी ग्लोवल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार हैं। इनमें नाइट्रस आक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन आदि शामिल हैं।
-पौधे मिट्टी को फिर से भरने में मदद करने के साथ-साथ वातावरण में ऑक्सीजन छोड़ते हैं। अपने-अपने क्षेत्र में खाद्य पदार्थ उगाने के भिन्न-भिन्न तरीके हैं। आप पौधों लगाएं।