108 थाल से पूजन कर अर्पित किए द्रव्य
देवरी. आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के शिष्य मुनि प्रशांत सागर, मुनि निर्वेग सागर, मुनि विमल सागर, मुनि अनंत सागर, मुनि धर्म सागर, मुनि अचल सागर, मुनि भाव सागर, मुनि विश्वास सागर महाराज के सानिध्य में 20 फ रवरी तक पंच कल्याणक आयोजित हो रहा है। प्रतिदिन अभिषेक, शांतिधारा, पूजन, आरती, प्रवचन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम चल रहे हैं।
19 फरवरी को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया है। जिसमें अनामिका अंबर मेरठ पंकज अंगार् ललितपुर, सुनील, समैया, डॉ. अखिल आनंद आदि कवि आ रहे हैं। 16 फरवरी को गर्भ कल्याणक की उत्तररूप की कियाऐं हुईं। रविवार को पात्रशुद्धि, अभिषेक, शांतिधारा, नित्यमय पूजन, गर्भकल्याणक पूजन, शान्तिहवन, एवं महाराज के आशीर्वचन हुए।
दोपहर में सीमन्तनी क्रियाएं (माता की गोद भराई) हुई।
इसके पश्चात सांस्कृतिक प्रवचन हुए। शाम को संगीतमय महाआरती एवं शास्त्र प्रवचन हुए। रात्रि में नाभिराय राजदरबार, स्वप्नफल कथनए अष्टदेवियों द्वारा माता की सेवा, छप्पनकुमारी देवियों द्वारा भेंट समर्पण हुआ। करेली जैन समाज के द्वारा 51 थाल पूजन सामग्री एवं शहपुरा भिटौनी जैन समाज के द्वारा 108 थाल पूजन की द्रव्य अर्पण की गई। मंच संचालन शुभांशु जैन शहपुरा ने किया।
मुनि श्री अचलसागर ने कहा कि बच्चों को जन्म देने से ज्यादा संस्कार देना महत्वपूर्ण है। अच्छी संतान को जन्म देने के बाद मुनि बन जाता है तो माता.पिता भी सम्मान प्राप्त करते हैं। बच्चों को आप हॉस्टल में डालोगे तो वह भी बाद में आपको घर के बाहर कर देगें। बच्चों को मोबाइल से दूर रखें।
बेबसाइट पर से खराब सामग्री अलग होना चाहिए। आज गर्भकल्याणक है, कल जन्म होगा। प्राण प्रतिष्ठा के द्वारा पाषाण से भगवान बन जाऐगें।
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