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सागर

Photo gallery.पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव सौधर्म इंद्र का लगा राज दरबार

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5 years ago
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सागर. भाग्योदय तीर्थ परिसर में मुनि योगसागर महाराज के ससंघ सानिध्य में चल रहे पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव के पहले दिन गर्भ कल्याणक पूर्व रूप में इंद्रासन के कम्पायमान के साथ सौधर्म इन्द्र का राज दरबार लगा। ध्वजारोहण एवं गर्भ कल्याणक पूर्व रूप का प्रथम दिन सुबह पात्रशुद्धि, सकलीकरण, ध्वजारोहण इंद्र प्रतिष्ठा नादी विधान के बाद अभिषेक, शांतिधारा, मंडल स्थापना, मंगल कलश, अखंड ज्योति स्थापना, नित्य पूजन के बाद मुनि श्री योगसागर महाराज के मंगल प्रवचन हुए। दोपहर में श्री याग महामंडल विधान का आयोजन हुआ। इसके बाद महाआरती और धर्म सभा के बाद सौधर्म की इन्द्र सभा का आयोजन हुआ। तत्व चर्चा के बाद जब सौधर्म इन्द्र का आसन कम्पायमान हुआ तब अयोध्या नगरी की रचना की गई। माता की सेवा के लिए शोडश स्वप्न दर्शन हुए स्त्रियों द्वारा माता की परिचर्चा और गर्भ कल्याणक की आंतरिक क्रियाएं मंत्र संस्कार शुद्धि गर्भधरण आदि के साथ पहले दिन के कार्यक्रम संपन्न हुए। योगसागर महाराज सागर मुंगावली में विराजमान हैं लेकिन वे सागर के पंचकल्याणक को देख रहे हैं, जल्दी ही वे सागर आएंगे। हम सब विद्या के सागर में लीन हैं यह बात धर्म सभा में ज्येष्ठ मुनि योग सागर महाराज ने अपने प्रवचन में कही। उन्होंने कहा गुरु कृपा बहुत ऊंची होती है। आप सभी को जो आनंद की प्राप्ति हो रही है, त्याग के भाव मन में आ रहे हैं, संसार से बैराग का मन हो रहा है, यह सब गुरुदेव की कृपा से ही संभव हो रहा है।

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सागर. भाग्योदय तीर्थ परिसर में मुनि योगसागर महाराज के ससंघ सानिध्य में चल रहे पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव के पहले दिन गर्भ कल्याणक पूर्व रूप में इंद्रासन के कम्पायमान के साथ सौधर्म इन्द्र का राज दरबार लगा। ध्वजारोहण एवं गर्भ कल्याणक पूर्व रूप का प्रथम दिन सुबह पात्रशुद्धि, सकलीकरण, ध्वजारोहण इंद्र प्रतिष्ठा नादी विधान के बाद अभिषेक, शांतिधारा, मंडल स्थापना, मंगल कलश, अखंड ज्योति स्थापना, नित्य पूजन के बाद मुनि श्री योगसागर महाराज के मंगल प्रवचन हुए। दोपहर में श्री याग महामंडल विधान का आयोजन हुआ। इसके बाद महाआरती और धर्म सभा के बाद सौधर्म की इन्द्र सभा का आयोजन हुआ। तत्व चर्चा के बाद जब सौधर्म इन्द्र का आसन कम्पायमान हुआ तब अयोध्या नगरी की रचना की गई। माता की सेवा के लिए शोडश स्वप्न दर्शन हुए स्त्रियों द्वारा माता की परिचर्चा और गर्भ कल्याणक की आंतरिक क्रियाएं मंत्र संस्कार शुद्धि गर्भधरण आदि के साथ पहले दिन के कार्यक्रम संपन्न हुए। योगसागर महाराज सागर मुंगावली में विराजमान हैं लेकिन वे सागर के पंचकल्याणक को देख रहे हैं, जल्दी ही वे सागर आएंगे। हम सब विद्या के सागर में लीन हैं यह बात धर्म सभा में ज्येष्ठ मुनि योग सागर महाराज ने अपने प्रवचन में कही। उन्होंने कहा गुरु कृपा बहुत ऊंची होती है। आप सभी को जो आनंद की प्राप्ति हो रही है, त्याग के भाव मन में आ रहे हैं, संसार से बैराग का मन हो रहा है, यह सब गुरुदेव की कृपा से ही संभव हो रहा है।

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सागर. भाग्योदय तीर्थ परिसर में मुनि योगसागर महाराज के ससंघ सानिध्य में चल रहे पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव के पहले दिन गर्भ कल्याणक पूर्व रूप में इंद्रासन के कम्पायमान के साथ सौधर्म इन्द्र का राज दरबार लगा। ध्वजारोहण एवं गर्भ कल्याणक पूर्व रूप का प्रथम दिन सुबह पात्रशुद्धि, सकलीकरण, ध्वजारोहण इंद्र प्रतिष्ठा नादी विधान के बाद अभिषेक, शांतिधारा, मंडल स्थापना, मंगल कलश, अखंड ज्योति स्थापना, नित्य पूजन के बाद मुनि श्री योगसागर महाराज के मंगल प्रवचन हुए। दोपहर में श्री याग महामंडल विधान का आयोजन हुआ। इसके बाद महाआरती और धर्म सभा के बाद सौधर्म की इन्द्र सभा का आयोजन हुआ। तत्व चर्चा के बाद जब सौधर्म इन्द्र का आसन कम्पायमान हुआ तब अयोध्या नगरी की रचना की गई। माता की सेवा के लिए शोडश स्वप्न दर्शन हुए स्त्रियों द्वारा माता की परिचर्चा और गर्भ कल्याणक की आंतरिक क्रियाएं मंत्र संस्कार शुद्धि गर्भधरण आदि के साथ पहले दिन के कार्यक्रम संपन्न हुए। योगसागर महाराज सागर मुंगावली में विराजमान हैं लेकिन वे सागर के पंचकल्याणक को देख रहे हैं, जल्दी ही वे सागर आएंगे। हम सब विद्या के सागर में लीन हैं यह बात धर्म सभा में ज्येष्ठ मुनि योग सागर महाराज ने अपने प्रवचन में कही। उन्होंने कहा गुरु कृपा बहुत ऊंची होती है। आप सभी को जो आनंद की प्राप्ति हो रही है, त्याग के भाव मन में आ रहे हैं, संसार से बैराग का मन हो रहा है, यह सब गुरुदेव की कृपा से ही संभव हो रहा है।

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सागर. भाग्योदय तीर्थ परिसर में मुनि योगसागर महाराज के ससंघ सानिध्य में चल रहे पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव के पहले दिन गर्भ कल्याणक पूर्व रूप में इंद्रासन के कम्पायमान के साथ सौधर्म इन्द्र का राज दरबार लगा। ध्वजारोहण एवं गर्भ कल्याणक पूर्व रूप का प्रथम दिन सुबह पात्रशुद्धि, सकलीकरण, ध्वजारोहण इंद्र प्रतिष्ठा नादी विधान के बाद अभिषेक, शांतिधारा, मंडल स्थापना, मंगल कलश, अखंड ज्योति स्थापना, नित्य पूजन के बाद मुनि श्री योगसागर महाराज के मंगल प्रवचन हुए। दोपहर में श्री याग महामंडल विधान का आयोजन हुआ। इसके बाद महाआरती और धर्म सभा के बाद सौधर्म की इन्द्र सभा का आयोजन हुआ। तत्व चर्चा के बाद जब सौधर्म इन्द्र का आसन कम्पायमान हुआ तब अयोध्या नगरी की रचना की गई। माता की सेवा के लिए शोडश स्वप्न दर्शन हुए स्त्रियों द्वारा माता की परिचर्चा और गर्भ कल्याणक की आंतरिक क्रियाएं मंत्र संस्कार शुद्धि गर्भधरण आदि के साथ पहले दिन के कार्यक्रम संपन्न हुए। योगसागर महाराज सागर मुंगावली में विराजमान हैं लेकिन वे सागर के पंचकल्याणक को देख रहे हैं, जल्दी ही वे सागर आएंगे। हम सब विद्या के सागर में लीन हैं यह बात धर्म सभा में ज्येष्ठ मुनि योग सागर महाराज ने अपने प्रवचन में कही। उन्होंने कहा गुरु कृपा बहुत ऊंची होती है। आप सभी को जो आनंद की प्राप्ति हो रही है, त्याग के भाव मन में आ रहे हैं, संसार से बैराग का मन हो रहा है, यह सब गुरुदेव की कृपा से ही संभव हो रहा है।

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सागर. भाग्योदय तीर्थ परिसर में मुनि योगसागर महाराज के ससंघ सानिध्य में चल रहे पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव के पहले दिन गर्भ कल्याणक पूर्व रूप में इंद्रासन के कम्पायमान के साथ सौधर्म इन्द्र का राज दरबार लगा। ध्वजारोहण एवं गर्भ कल्याणक पूर्व रूप का प्रथम दिन सुबह पात्रशुद्धि, सकलीकरण, ध्वजारोहण इंद्र प्रतिष्ठा नादी विधान के बाद अभिषेक, शांतिधारा, मंडल स्थापना, मंगल कलश, अखंड ज्योति स्थापना, नित्य पूजन के बाद मुनि श्री योगसागर महाराज के मंगल प्रवचन हुए। दोपहर में श्री याग महामंडल विधान का आयोजन हुआ। इसके बाद महाआरती और धर्म सभा के बाद सौधर्म की इन्द्र सभा का आयोजन हुआ। तत्व चर्चा के बाद जब सौधर्म इन्द्र का आसन कम्पायमान हुआ तब अयोध्या नगरी की रचना की गई। माता की सेवा के लिए शोडश स्वप्न दर्शन हुए स्त्रियों द्वारा माता की परिचर्चा और गर्भ कल्याणक की आंतरिक क्रियाएं मंत्र संस्कार शुद्धि गर्भधरण आदि के साथ पहले दिन के कार्यक्रम संपन्न हुए। योगसागर महाराज सागर मुंगावली में विराजमान हैं लेकिन वे सागर के पंचकल्याणक को देख रहे हैं, जल्दी ही वे सागर आएंगे। हम सब विद्या के सागर में लीन हैं यह बात धर्म सभा में ज्येष्ठ मुनि योग सागर महाराज ने अपने प्रवचन में कही। उन्होंने कहा गुरु कृपा बहुत ऊंची होती है। आप सभी को जो आनंद की प्राप्ति हो रही है, त्याग के भाव मन में आ रहे हैं, संसार से बैराग का मन हो रहा है, यह सब गुरुदेव की कृपा से ही संभव हो रहा है।

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सागर. भाग्योदय तीर्थ परिसर में मुनि योगसागर महाराज के ससंघ सानिध्य में चल रहे पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव के पहले दिन गर्भ कल्याणक पूर्व रूप में इंद्रासन के कम्पायमान के साथ सौधर्म इन्द्र का राज दरबार लगा। ध्वजारोहण एवं गर्भ कल्याणक पूर्व रूप का प्रथम दिन सुबह पात्रशुद्धि, सकलीकरण, ध्वजारोहण इंद्र प्रतिष्ठा नादी विधान के बाद अभिषेक, शांतिधारा, मंडल स्थापना, मंगल कलश, अखंड ज्योति स्थापना, नित्य पूजन के बाद मुनि श्री योगसागर महाराज के मंगल प्रवचन हुए। दोपहर में श्री याग महामंडल विधान का आयोजन हुआ। इसके बाद महाआरती और धर्म सभा के बाद सौधर्म की इन्द्र सभा का आयोजन हुआ। तत्व चर्चा के बाद जब सौधर्म इन्द्र का आसन कम्पायमान हुआ तब अयोध्या नगरी की रचना की गई। माता की सेवा के लिए शोडश स्वप्न दर्शन हुए स्त्रियों द्वारा माता की परिचर्चा और गर्भ कल्याणक की आंतरिक क्रियाएं मंत्र संस्कार शुद्धि गर्भधरण आदि के साथ पहले दिन के कार्यक्रम संपन्न हुए। योगसागर महाराज सागर मुंगावली में विराजमान हैं लेकिन वे सागर के पंचकल्याणक को देख रहे हैं, जल्दी ही वे सागर आएंगे। हम सब विद्या के सागर में लीन हैं यह बात धर्म सभा में ज्येष्ठ मुनि योग सागर महाराज ने अपने प्रवचन में कही। उन्होंने कहा गुरु कृपा बहुत ऊंची होती है। आप सभी को जो आनंद की प्राप्ति हो रही है, त्याग के भाव मन में आ रहे हैं, संसार से बैराग का मन हो रहा है, यह सब गुरुदेव की कृपा से ही संभव हो रहा है।

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सागर. भाग्योदय तीर्थ परिसर में मुनि योगसागर महाराज के ससंघ सानिध्य में चल रहे पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव के पहले दिन गर्भ कल्याणक पूर्व रूप में इंद्रासन के कम्पायमान के साथ सौधर्म इन्द्र का राज दरबार लगा। ध्वजारोहण एवं गर्भ कल्याणक पूर्व रूप का प्रथम दिन सुबह पात्रशुद्धि, सकलीकरण, ध्वजारोहण इंद्र प्रतिष्ठा नादी विधान के बाद अभिषेक, शांतिधारा, मंडल स्थापना, मंगल कलश, अखंड ज्योति स्थापना, नित्य पूजन के बाद मुनि श्री योगसागर महाराज के मंगल प्रवचन हुए। दोपहर में श्री याग महामंडल विधान का आयोजन हुआ। इसके बाद महाआरती और धर्म सभा के बाद सौधर्म की इन्द्र सभा का आयोजन हुआ। तत्व चर्चा के बाद जब सौधर्म इन्द्र का आसन कम्पायमान हुआ तब अयोध्या नगरी की रचना की गई। माता की सेवा के लिए शोडश स्वप्न दर्शन हुए स्त्रियों द्वारा माता की परिचर्चा और गर्भ कल्याणक की आंतरिक क्रियाएं मंत्र संस्कार शुद्धि गर्भधरण आदि के साथ पहले दिन के कार्यक्रम संपन्न हुए। योगसागर महाराज सागर मुंगावली में विराजमान हैं लेकिन वे सागर के पंचकल्याणक को देख रहे हैं, जल्दी ही वे सागर आएंगे। हम सब विद्या के सागर में लीन हैं यह बात धर्म सभा में ज्येष्ठ मुनि योग सागर महाराज ने अपने प्रवचन में कही। उन्होंने कहा गुरु कृपा बहुत ऊंची होती है। आप सभी को जो आनंद की प्राप्ति हो रही है, त्याग के भाव मन में आ रहे हैं, संसार से बैराग का मन हो रहा है, यह सब गुरुदेव की कृपा से ही संभव हो रहा है।

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सागर. भाग्योदय तीर्थ परिसर में मुनि योगसागर महाराज के ससंघ सानिध्य में चल रहे पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव के पहले दिन गर्भ कल्याणक पूर्व रूप में इंद्रासन के कम्पायमान के साथ सौधर्म इन्द्र का राज दरबार लगा। ध्वजारोहण एवं गर्भ कल्याणक पूर्व रूप का प्रथम दिन सुबह पात्रशुद्धि, सकलीकरण, ध्वजारोहण इंद्र प्रतिष्ठा नादी विधान के बाद अभिषेक, शांतिधारा, मंडल स्थापना, मंगल कलश, अखंड ज्योति स्थापना, नित्य पूजन के बाद मुनि श्री योगसागर महाराज के मंगल प्रवचन हुए। दोपहर में श्री याग महामंडल विधान का आयोजन हुआ। इसके बाद महाआरती और धर्म सभा के बाद सौधर्म की इन्द्र सभा का आयोजन हुआ। तत्व चर्चा के बाद जब सौधर्म इन्द्र का आसन कम्पायमान हुआ तब अयोध्या नगरी की रचना की गई। माता की सेवा के लिए शोडश स्वप्न दर्शन हुए स्त्रियों द्वारा माता की परिचर्चा और गर्भ कल्याणक की आंतरिक क्रियाएं मंत्र संस्कार शुद्धि गर्भधरण आदि के साथ पहले दिन के कार्यक्रम संपन्न हुए। योगसागर महाराज सागर मुंगावली में विराजमान हैं लेकिन वे सागर के पंचकल्याणक को देख रहे हैं, जल्दी ही वे सागर आएंगे। हम सब विद्या के सागर में लीन हैं यह बात धर्म सभा में ज्येष्ठ मुनि योग सागर महाराज ने अपने प्रवचन में कही। उन्होंने कहा गुरु कृपा बहुत ऊंची होती है। आप सभी को जो आनंद की प्राप्ति हो रही है, त्याग के भाव मन में आ रहे हैं, संसार से बैराग का मन हो रहा है, यह सब गुरुदेव की कृपा से ही संभव हो रहा है।

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