सागर पाषाण से परमात्मा बनाने की पद्धति का नाम पंचकल्याण है। पांच ऐसी घटनाएं हैं, जिनके द्वारा जीवों का कल्याण होता है उसे ही पंचकल्याण कहा जाता है। ये वो घटनाएं हैं गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान और मोक्ष। ऐसा पुण्यशाली जीव जिसके गर्भ में आते ही जीवों का कल्याण होने लगता है उसे गर्भ कल्याण कहते हैं। उस जीव से तीनों लोकों का कल्याण होता है। जन्म कल्याणक वह कल्याणक होता है, जिससे तीनों लोक आंददित हो उठते हैं। मानव समाज बैरभाव मिटाकर एक हो जाता है। हर जगह आनंद ही आनंद होता है। इसके बाद तप कल्याण आता है, जिसमें मोक्ष की जाने के साधन एवं धार्मिक वातावरण के लिए कार्य किया जाता है। ज्ञान कल्याण का अर्थ होता है तीनों लोकों में ज्ञान झलकता हो। ज्ञान कल्याणक तत्वों को प्रतिवादित करता है। केवल ज्ञान होने के बाद भी समोशरण की रचना होती है। जिसमें एक साथ सभी लोग
बैठते हैं। इसके बाद ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सागर पाषाण से परमात्मा बनाने की पद्धति का नाम पंचकल्याण है। पांच ऐसी घटनाएं हैं, जिनके द्वारा जीवों का कल्याण होता है उसे ही पंचकल्याण कहा जाता है। ये वो घटनाएं हैं गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान और मोक्ष। ऐसा पुण्यशाली जीव जिसके गर्भ में आते ही जीवों का कल्याण होने लगता है उसे गर्भ कल्याण कहते हैं। उस जीव से तीनों लोकों का कल्याण होता है। जन्म कल्याणक वह कल्याणक होता है, जिससे तीनों लोक आंददित हो उठते हैं। मानव समाज बैरभाव मिटाकर एक हो जाता है। हर जगह आनंद ही आनंद होता है। इसके बाद तप कल्याण आता है, जिसमें मोक्ष की जाने के साधन एवं धार्मिक वातावरण के लिए कार्य किया जाता है। ज्ञान कल्याण का अर्थ होता है तीनों लोकों में ज्ञान झलकता हो। ज्ञान कल्याणक तत्वों को प्रतिवादित करता है। केवल ज्ञान होने के बाद भी समोशरण की रचना होती है। जिसमें एक साथ सभी लोग
बैठते हैं। इसके बाद ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सागर पाषाण से परमात्मा बनाने की पद्धति का नाम पंचकल्याण है। पांच ऐसी घटनाएं हैं, जिनके द्वारा जीवों का कल्याण होता है उसे ही पंचकल्याण कहा जाता है। ये वो घटनाएं हैं गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान और मोक्ष। ऐसा पुण्यशाली जीव जिसके गर्भ में आते ही जीवों का कल्याण होने लगता है उसे गर्भ कल्याण कहते हैं। उस जीव से तीनों लोकों का कल्याण होता है। जन्म कल्याणक वह कल्याणक होता है, जिससे तीनों लोक आंददित हो उठते हैं। मानव समाज बैरभाव मिटाकर एक हो जाता है। हर जगह आनंद ही आनंद होता है। इसके बाद तप कल्याण आता है, जिसमें मोक्ष की जाने के साधन एवं धार्मिक वातावरण के लिए कार्य किया जाता है। ज्ञान कल्याण का अर्थ होता है तीनों लोकों में ज्ञान झलकता हो। ज्ञान कल्याणक तत्वों को प्रतिवादित करता है। केवल ज्ञान होने के बाद भी समोशरण की रचना होती है। जिसमें एक साथ सभी लोग
बैठते हैं। इसके बाद ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सागर पाषाण से परमात्मा बनाने की पद्धति का नाम पंचकल्याण है। पांच ऐसी घटनाएं हैं, जिनके द्वारा जीवों का कल्याण होता है उसे ही पंचकल्याण कहा जाता है। ये वो घटनाएं हैं गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान और मोक्ष। ऐसा पुण्यशाली जीव जिसके गर्भ में आते ही जीवों का कल्याण होने लगता है उसे गर्भ कल्याण कहते हैं। उस जीव से तीनों लोकों का कल्याण होता है। जन्म कल्याणक वह कल्याणक होता है, जिससे तीनों लोक आंददित हो उठते हैं। मानव समाज बैरभाव मिटाकर एक हो जाता है। हर जगह आनंद ही आनंद होता है। इसके बाद तप कल्याण आता है, जिसमें मोक्ष की जाने के साधन एवं धार्मिक वातावरण के लिए कार्य किया जाता है। ज्ञान कल्याण का अर्थ होता है तीनों लोकों में ज्ञान झलकता हो। ज्ञान कल्याणक तत्वों को प्रतिवादित करता है। केवल ज्ञान होने के बाद भी समोशरण की रचना होती है। जिसमें एक साथ सभी लोग
बैठते हैं। इसके बाद ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सागर पाषाण से परमात्मा बनाने की पद्धति का नाम पंचकल्याण है। पांच ऐसी घटनाएं हैं, जिनके द्वारा जीवों का कल्याण होता है उसे ही पंचकल्याण कहा जाता है। ये वो घटनाएं हैं गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान और मोक्ष। ऐसा पुण्यशाली जीव जिसके गर्भ में आते ही जीवों का कल्याण होने लगता है उसे गर्भ कल्याण कहते हैं। उस जीव से तीनों लोकों का कल्याण होता है। जन्म कल्याणक वह कल्याणक होता है, जिससे तीनों लोक आंददित हो उठते हैं। मानव समाज बैरभाव मिटाकर एक हो जाता है। हर जगह आनंद ही आनंद होता है। इसके बाद तप कल्याण आता है, जिसमें मोक्ष की जाने के साधन एवं धार्मिक वातावरण के लिए कार्य किया जाता है। ज्ञान कल्याण का अर्थ होता है तीनों लोकों में ज्ञान झलकता हो। ज्ञान कल्याणक तत्वों को प्रतिवादित करता है। केवल ज्ञान होने के बाद भी समोशरण की रचना होती है। जिसमें एक साथ सभी लोग
बैठते हैं। इसके बाद ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सागर पाषाण से परमात्मा बनाने की पद्धति का नाम पंचकल्याण है। पांच ऐसी घटनाएं हैं, जिनके द्वारा जीवों का कल्याण होता है उसे ही पंचकल्याण कहा जाता है। ये वो घटनाएं हैं गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान और मोक्ष। ऐसा पुण्यशाली जीव जिसके गर्भ में आते ही जीवों का कल्याण होने लगता है उसे गर्भ कल्याण कहते हैं। उस जीव से तीनों लोकों का कल्याण होता है। जन्म कल्याणक वह कल्याणक होता है, जिससे तीनों लोक आंददित हो उठते हैं। मानव समाज बैरभाव मिटाकर एक हो जाता है। हर जगह आनंद ही आनंद होता है। इसके बाद तप कल्याण आता है, जिसमें मोक्ष की जाने के साधन एवं धार्मिक वातावरण के लिए कार्य किया जाता है। ज्ञान कल्याण का अर्थ होता है तीनों लोकों में ज्ञान झलकता हो। ज्ञान कल्याणक तत्वों को प्रतिवादित करता है। केवल ज्ञान होने के बाद भी समोशरण की रचना होती है। जिसमें एक साथ सभी लोग
बैठते हैं। इसके बाद ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सागर पाषाण से परमात्मा बनाने की पद्धति का नाम पंचकल्याण है। पांच ऐसी घटनाएं हैं, जिनके द्वारा जीवों का कल्याण होता है उसे ही पंचकल्याण कहा जाता है। ये वो घटनाएं हैं गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान और मोक्ष। ऐसा पुण्यशाली जीव जिसके गर्भ में आते ही जीवों का कल्याण होने लगता है उसे गर्भ कल्याण कहते हैं। उस जीव से तीनों लोकों का कल्याण होता है। जन्म कल्याणक वह कल्याणक होता है, जिससे तीनों लोक आंददित हो उठते हैं। मानव समाज बैरभाव मिटाकर एक हो जाता है। हर जगह आनंद ही आनंद होता है। इसके बाद तप कल्याण आता है, जिसमें मोक्ष की जाने के साधन एवं धार्मिक वातावरण के लिए कार्य किया जाता है। ज्ञान कल्याण का अर्थ होता है तीनों लोकों में ज्ञान झलकता हो। ज्ञान कल्याणक तत्वों को प्रतिवादित करता है। केवल ज्ञान होने के बाद भी समोशरण की रचना होती है। जिसमें एक साथ सभी लोग
बैठते हैं। इसके बाद ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सागर पाषाण से परमात्मा बनाने की पद्धति का नाम पंचकल्याण है। पांच ऐसी घटनाएं हैं, जिनके द्वारा जीवों का कल्याण होता है उसे ही पंचकल्याण कहा जाता है। ये वो घटनाएं हैं गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान और मोक्ष। ऐसा पुण्यशाली जीव जिसके गर्भ में आते ही जीवों का कल्याण होने लगता है उसे गर्भ कल्याण कहते हैं। उस जीव से तीनों लोकों का कल्याण होता है। जन्म कल्याणक वह कल्याणक होता है, जिससे तीनों लोक आंददित हो उठते हैं। मानव समाज बैरभाव मिटाकर एक हो जाता है। हर जगह आनंद ही आनंद होता है। इसके बाद तप कल्याण आता है, जिसमें मोक्ष की जाने के साधन एवं धार्मिक वातावरण के लिए कार्य किया जाता है। ज्ञान कल्याण का अर्थ होता है तीनों लोकों में ज्ञान झलकता हो। ज्ञान कल्याणक तत्वों को प्रतिवादित करता है। केवल ज्ञान होने के बाद भी समोशरण की रचना होती है। जिसमें एक साथ सभी लोग
बैठते हैं। इसके बाद ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सागर पाषाण से परमात्मा बनाने की पद्धति का नाम पंचकल्याण है। पांच ऐसी घटनाएं हैं, जिनके द्वारा जीवों का कल्याण होता है उसे ही पंचकल्याण कहा जाता है। ये वो घटनाएं हैं गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान और मोक्ष। ऐसा पुण्यशाली जीव जिसके गर्भ में आते ही जीवों का कल्याण होने लगता है उसे गर्भ कल्याण कहते हैं। उस जीव से तीनों लोकों का कल्याण होता है। जन्म कल्याणक वह कल्याणक होता है, जिससे तीनों लोक आंददित हो उठते हैं। मानव समाज बैरभाव मिटाकर एक हो जाता है। हर जगह आनंद ही आनंद होता है। इसके बाद तप कल्याण आता है, जिसमें मोक्ष की जाने के साधन एवं धार्मिक वातावरण के लिए कार्य किया जाता है। ज्ञान कल्याण का अर्थ होता है तीनों लोकों में ज्ञान झलकता हो। ज्ञान कल्याणक तत्वों को प्रतिवादित करता है। केवल ज्ञान होने के बाद भी समोशरण की रचना होती है। जिसमें एक साथ सभी लोग
बैठते हैं। इसके बाद ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सागर पाषाण से परमात्मा बनाने की पद्धति का नाम पंचकल्याण है। पांच ऐसी घटनाएं हैं, जिनके द्वारा जीवों का कल्याण होता है उसे ही पंचकल्याण कहा जाता है। ये वो घटनाएं हैं गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान और मोक्ष। ऐसा पुण्यशाली जीव जिसके गर्भ में आते ही जीवों का कल्याण होने लगता है उसे गर्भ कल्याण कहते हैं। उस जीव से तीनों लोकों का कल्याण होता है। जन्म कल्याणक वह कल्याणक होता है, जिससे तीनों लोक आंददित हो उठते हैं। मानव समाज बैरभाव मिटाकर एक हो जाता है। हर जगह आनंद ही आनंद होता है। इसके बाद तप कल्याण आता है, जिसमें मोक्ष की जाने के साधन एवं धार्मिक वातावरण के लिए कार्य किया जाता है। ज्ञान कल्याण का अर्थ होता है तीनों लोकों में ज्ञान झलकता हो। ज्ञान कल्याणक तत्वों को प्रतिवादित करता है। केवल ज्ञान होने के बाद भी समोशरण की रचना होती है। जिसमें एक साथ सभी लोग
बैठते हैं। इसके बाद ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।