जान जोखिम में डाल खटारा बसों से यात्रा करने मजबूर यात्री
प्रशासन के आदेश की धज्जियां उड़ा रहे बस संचालक

बीना. खटारा बसों के मामलों में बस संचालकों की लापरवाही खत्म नहीं हो रही है। यही कारण है कि मंगलवार को सीधी जिले में जो घटना घटित हुई है ऐसी घटनाएं कार्रवाई न होने के कारण होती है। प्रशासन की नींद बड़ी घटना होने के बाद ही खुलती है। जबकि पहले से ही जिम्मेदार ध्यान दें तो निश्चित ही इन घटनाओं पर रोक लग सकती है। बस संचालकों को इमरजेंसी डोर लगवाने का आदेश जारी हुए लंबा समय बीत गया है, लेकिन अभी तक इसपर अमल नहीं हुआ है। बस ऑपरेटरों की मनमानी से दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश है कि यात्री बसों पर लगेज नहीं लादा जाए, लेकि इसके बाद भी बसों पर बेरोकटोक लगेज भारी मात्रा में लदा रहता है, जिससे मोडऩे या क्रासिंग करने पर बस के अनियंत्रित होने का खतरा रहता है और यात्रियों की जान का खतरा बना रहता है। इसके बाद ना तो जिला प्रशासन ने ध्यान दिया जा रहा है और न ही आरटीओ द्वारा। प्रशासन की उदासीनता के चलते बस ऑपरेटर निरंकुश और मनमाने हो गए हैं। इनमें अधिकांश बसें नियमों को ताक पर रखकर चल रही हैं। हालत यह है कि खटारा बसों को भी आरटीओ से फिटनेस सर्टिफिकेट मिल जाते हैं, तो कई बस बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के सड़कों पर दौड़ रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यात्रियों को बसों में भेड़-बकरी की तरह भरा जाता है। यहां पर आरटीओ के नियम न चलकर सारे नियम बस ऑपरेटरों के चलते हैं।
भानगढ़ की ओर नहीं चलती बसें
बस संचालक घाटे का आंकलन करके भानगढ़ की ओर बसों के परमिट लेकर नहीं चलाते हैं, जबकि इस रुट पर दर्जनों गांव के लोग प्रतिदिन बीना तक आते-जाते हैं। जिन्हें ऑटो से सफर करना पड़ता है, यहां भी स्थिति काफी खराब रहती है। जहां एक ऑटो में १५ से २० लोग सवार करते हैं।
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