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इस रास्ते से अंधेरे के कारण रात में नहीं जाते लोग, पढ़े खबर

locationसागरPublished: Mar 24, 2019 07:51:07 pm

Submitted by:

anuj hazari

रेलवे बायपास रोड पर नहीं सीसीटीवी कैमरा, उजाले की नहीं व्यवस्था

People do not go out of the night due to darkness due to this path

People do not go out of the night due to darkness due to this path

बीना. शहर के ट्रैफिक से निजात दिलाने के लिए कुछ वर्ष पहले रेलवे बायपास रोड का निर्माण लोगों की सुविधा के लिए किया गया था, लेकिन इस रोड पर लोगों की सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा गया है। यहां पर न तो सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं न ही उजाले की व्यवस्था है, जिसके कारण रात होते ही वहां से निकलने में लोगों को डर लगने लगता है। यही बजह है कि रात के समय लोगों ने यहां से निकलना बंद कर दिया है। गौरतलब है कि बायपास रोड पर मुख्य पॉइन्ट के अलावा बीच में ही सीसीटीवी कैमरा लगाने के लिए जगह चिहिंत की गई थी, लेकिन पुलिस विभाग द्वारा मुख्य पॉइंट को छोड़ दिया है, जिस बजह से अपराधियों के घटना को अंजाम देने के बाद उन पर नजर नहीं रखी जा पाती है। जिस समय कैमरे लगाए जा रहे थे उस समय तत्कालीन थाना प्रभारी आलोक सिंह परिहार ने बायपास रोड पर लोगों की सुरक्षा को देखते हुए दो नए पॉइंट चिंहित किए थे जहां से लोगों का आना-जाना ज्यादा रहता है, लेकिन उनके जाने के बाद अन्य अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया और इन पॉइंटों पर कैमरें नहीं लगाए जा सके। जबकि वह मुख्य पॉइंट थे, जहां से लोगों पर नजर रखी जा सकती थी। यह सड़क बीना स्टेशन से सीधे मालखेड़ी स्टेशन के लिए जोड़ती है, इसलिए जरुरी है कि यहां पर राहगीरों के लिए सुरक्षा की दृष्टि से उजाले के लिए लाइटें लगाई जाएं। अंधेरा होने के कारण लोग बायपास की बजाए मुख्य मार्ग से घूमकर जाते हैं। क्योंकि यहां पर अंधेरा का फायदा उठाकर शराबी, असामाजिक तत्वों का भी जमावड़ा लगा रहता है।
दो झूठे मामले आने के बाद उठी मांग
इस मार्ग पर सीसीटीवी कैमरा नहीं होने के कारण दो ऐसे झूठे मामले सामने आए हैं जो पुलिस के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहे थे, हालांकि मामले की तफ्तीश करने पर दोनों मामले झूठे निकले। जिस बजह से यहां पर लोगों ने कैमरा लगाने की मांग की है। कुछ दिनों पहले शहर के एक युवक ने इसी मार्ग पर अपहरण होने की झूठी कहानी रचकर पुलिस को सकते में डाल दिया था। वहीं दूसरा मामला तीन दिन पहले एक युवक द्वारा लूट की झूठी कहानी रचने का था। दोनों मामलों की जांच करने पर जीआरपी ने खुलासा किया तब पता चला कि दोनों ही मामले फर्जी थे, यदि यहां पर कैमरे लगे होते तो पुलिस के लिए भी परेशान नहीं होना पड़ता।

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