अभी यह है भारी वाहनों के प्रवेश की स्थिति –
1. भोपाल रोड –
एनएच-86 शहर के लहदरा नाका होकर मोतीनगर चौराहे पर जुड़ता है। हांलाकि भारी वाहनों के दबाव को देखते हुए कुछ समय पहले सुबह से रात तक लहदरा नाका से खुरई रोड-भैंसा नाका और परेड़ मंदिर होकर गुजारा जाता था। लेकिन सड़क का निर्माण अटका रहने के कारण कुछ महीने पहले नरसिंहपुर, जबलपुर की ओर जाने वाले वाहनों को मोतीनगर चौराहे से धर्मश्री-तिली तिराहा से पथरिया जाट होकर गुजरने की अनुमति दे दी गई थी। हांलाकि भारी वाहनों के अलावा भोपाल, विदिशा, रायसेन क्षेत्र से आने वाली यात्री बस लगातार इसी मार्ग से होकर बस स्टैंड आती-जाती रहीं।
2. खुरई रोड –
सागर-खुरई-बीना रोड का काम इनदिनों चल रहा है। अनाज मंडी में उपज बेंचने आने वाले किसानों की भीड़, सभी ऑटोमोबाइल शो-रूम होने से मंडी चौराहे से रेलवे ओवर ब्रिज, भगवानगंज तिराहा और कबूला पुल के बीच सड़क पर वाहनों का भारी दबाव बना हुआ है। वैसे इस मार्ग पर हमेशा ही यातायात की परेशानी होती है। भीड़भाड़ वाला बाजार होने पर भी यहां से भारी वाहन बेरोकटोक निकलते हैं। इस मार्ग पर रेलवे ओवरब्रिज, आइटीआइ, भगवानगंज और कबूला पुल पर अकसर दुर्घटनाएं भी होती हैं।
3. मकरोनिया चौराहा –
उपनगरीय क्षेत्र में झांसी, नरसिंहपुर, छतरपुर, जबलपुर या दमोह की ओर से आने वाले सभी वाहन मकरोनिया चौराहे से होकर ही गुजरते हैं। मुख्य बस स्टैंड या भोपाल हाइवे तक पहुंचने के लिए मकरोनिया चौराहा इकलौती जगह है। इस चौराहे से जुड़े रजाखेड़ी, बण्डा रोड और मकरोनिया पुलिस थाना मार्ग पर बाजार की भीड़ और वाहनों का भारी दबाव रहता है क्योंकि यहां कोई भी वैकल्पिक मार्ग नहीं है।
घनी आबादी का भी नहीं ख्याल –
मोतीनगर-धर्मश्री से तिली होकर गुजरने वाला यह मार्ग घनी आबादी के बीच है। तब भी बड़ी संख्या में भारी वाहन दिनभर यहां से तेज रफ्तार से गुजरते रहते हैं। घनी आबादी और अत्यधिक वाहनों का दबाव झेल रही इसी सड़क से गुजर रहे हैं। मंगलवार को मासूम को ट्रक द्वारा रौंदे जाने के अगले ही दिन बुधवार को भी ट्रक-डंपर और यात्री बस मोतीनगर -धर्मश्री – तिली रोड से होकर दौड़ती रहीं। जबकि मंगलगिरी में धार्मिक अनुष्ठान के कारण सड़क पर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा हुआ है।
निर्माणाधीन सड़क, कैसे दिनभर खड़े होंगे वाहन –
हादसे के बाद लोगों का गुस्सा देखकर पुलिस-प्रशासन द्वारा जल्दबाजी में शहर से बाहर हाइवे या सड़कों पर वाहनों को दिनभर रोका जाता है तो यह भी भारी मुसीबत खड़ी करने वाला निर्णय हो सकता है। क्योंकि भोपाल हाइवे पर इन दिनों निर्माण कार्य जारी है। बड़ी नदी पर पुल का काम भी चल रहा है। इस वजह से मोतीनगर चौराहे से लहदरा नाका, रतौंना के बीच सड़क के किनारे खुदे पड़े हैं। ऐसी ही स्थिति अनाज मंडी से भैंसा नाका मार्ग, मकरोनिया चौराहा-बम्होरी तिराहा, बण्डा रोड, रजाखेड़ी- परेड मंदिर रोड की है।
ऐसे कर सकते हैं समस्या का समाधान –
1. भोपाल हाइवे से आने वाले वाहनों को वैकल्पिक मार्गों से गुजारा जा सकता है। फिलहाल गल्ला मंडी, रानीपुरा से फोरलेन तक पहुंचने वाला मार्ग ही चालू हालत में है। लेकिन त्वरित व्यवस्था के रूप में इसका उपयोग किया जा सकता है।
2. बड़ी नदी के पास से धर्मश्री को जोडऩे वाला कच्चा मार्ग है। यह मार्ग है जो खेरमाई मंदिर, ईट भट्टों से होकर धर्मश्री तिराहे पर पहुंचता है। हांलाकि मार्ग विवादित होने से बीच से गुजरे नाले पर पुलिया नहीं है लेकिन इस पर डायवर्सन के माध्यम से भारी वाहनों के आवागमन का विकल्प तैयार किया जा सकता है।
3. भारी वाहनों को शहर से बाहर रोककर कुछ समय का अंतराल निर्धारित कर उन्हें एक साथ गुजारा जा सकता है। जिससे अचानक वाहन गुजरने से हादसे का अंदेशा कम या खत्म हो जाएगा। वाहनों के गुजरने के दौरान बीच में पुलिस पाइंट भी निर्धारित किए जा सकते हैं।
ठोस निदान के लिए जरूरी है ये व्यवस्थाएं –
1. शहर के बाहर टांसपोर्ट नगर का जल्द से जल्द निर्माण कराया जाएगा।
2. भारी वाहनों के लिए शहर के चारों ओर अधूरे पड़े लिंक रोड को अतिशीघ्र बनवाया जाए।
3. मुख्य बस स्टैंड से भोपाल, जबलपुर, छतरपुर, झांसी की ओर संचालित बसों के संचालन का भी हो विकल्प
वर्जन –
अमित सांघी, एसपी सागर
सड़क दुर्घटना में मासूम की मौत पर सभी दुखी है। गुरुवार को बैठक कर जिला प्रशासन और पुलिस भारी वाहनों के शहर में प्रवेश और उनके गुजरने की व्यवस्था तैयार करेंगे ताकि दुर्घटना और जनहानि को रोका जा सके।
वर्जन –
अभय दरे, महापौर, नगर निगम सागर
मास्टर प्लान 2017 में फाइनल करते समय बाइपास की चर्चा की थी। बजट उपलब्ध नहीं होने की वजह से सीमांकन ही नहीं कराया जा सका। लोगों की जमीन का अधिगृहण सहित अन्य परेशानियों को दूर करने राज्य शासन से राशि मांगी थी लेकिन उपलब्ध नहीं कराई गई। वर्ष 2014 से भापेल से 12 किमी लंबा बाइपास प्रस्तावित है जो नरसिंहपुर फोरलेन की ओर वाहनों को शहर के बाहर से ही डायवर्ट करता लेकिन सरकार से लगातार मांग के बाद भी नगर निगम को राशि नहीं मिली और यह काम हम पूरा नहीं करा सके। यह सरकार और हमारे लिए बड़ी दुख और खेदपूर्ण स्थिति है।
परेशानी, लोगों की जुबानी –
1. विपिन सैनी, शीतला माता मंदिर : सड़क काफी संकरी है और वाहनों का दबाव बहुत ज्यादा है। उस पर स्थानीय लोगों के आने-जाने का भी यही इकलौता रास्ता है। भारी वाहन इतनी तेज गति से चलते हैं कि जब-तब हादसे होते ही रहते हैं। यहां से ट्रक-डंपर न गुजरे यह करना जरूरी हो गया है।
2. सुमित सोनी, धर्मश्री तिराहा : भारी वाहनों के कारण अकसर दोपहिया वाहन चालक उनकी चपेट में आते हैं। सड़क किनारे घर हैं और बच्चों को आखिर कोई कब तक अपनी निगरानी में रखे। शाम ढलते ही ट्रकों की रफ्तार बढ़ जाती है। साल भर पहले दो बाइक सवारों को ट्रक ने रौंद दिया था।