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हलषष्ठी आज , संतान की दीर्घायु के लिए महिलाएं व्रत रखकर करेंगीं पूजा-अर्चना

locationसागरPublished: Aug 20, 2019 08:02:35 pm

ये है व्रत का महत्व

हलषष्ठी आज , संतान की दीर्घायु के लिए महिलाएं व्रत रखकर करेंगीं पूजा-अर्चना

हलषष्ठी आज , संतान की दीर्घायु के लिए महिलाएं व्रत रखकर करेंगीं पूजा-अर्चना


सागर. संतान की दीर्घायु की कामना का पर्व हलषष्ठी बुधवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। पर्व को लेकर बाजार में दिनभर पूजा-सामग्री की खरीदारी की। भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्ठी को हलषष्ठी मनाई जाती है। इस दिन संतान की दीर्घायु के लिए महिलाएं व्रत रख कर पूजा-अर्चना करेंगी। २१ अगस्त को महिलाएं सुबह से व्रत रहकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर सकती हैं। स्नान-ध्यान के बाद व्रत, शाम को होगा।
ऐसे होगी पूजा-अर्चना
सुबह स्नान-ध्यान के बाद महिलाएं व्रत का संकल्प लेकर पूजा में जुट जाएंगी। आंगन में सांकेतिक तालाब बनाएंगी। उसमें झरबेरी, पलाश की टहनियों व कांस की डाल को बांधकर चना, गेहूं, जौ, धान, अरहर, मूंग, मक्का व महुआ को बांस की टोकनी या फिर चुकड़ी में भरकर दूध-दही, गंगा जल अर्पित करते हुए षष्ठी देवी की पूजा करेंगी। अंत में व्रत पारणा की जाएगी। मंगलवार को बाजार में पूजन सामग्री सहित अन्य सामाग्री की खरीदी के लिए दुकानें पर भीड़ नजर आई। बाजार में पसही के चावल, भुजेना, महुआ, मिट्टी की डबुली की खरीदी करते महिलाएं नजर आईं। पं. केशव महाराज के अनुसार इस दिन पुत्रवती स्त्रियां व्रत रखती हैं। इस दिन गाय का दूध, दही भी नहीं खाया जाता। भैंस का दूध दही ही उपयोग में लाया जाता है। इस दिन स्त्रियां एक महुए की दातुन करतीं हैं।
ये है व्रत का महत्व
भाद्र माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हलषष्ठी या हरछठ व्रत रखा जाता है। यह व्रत वही स्त्रियां करती हैं जिनको पुत्र होता है। जिनको केवल पुत्री होती है, वह यह व्रत नहीं करती। यह व्रत पुत्र के दीर्घायु के लिए किया जाता है। इस व्रत में हल द्वारा जोता-बोया अन्न या कोई फल नहीं खाया जाता। क्योंकि इस तिथि को ही हलधर बलराम जी का जन्म हुआ था और बलराम जी का शस्त्र हल है
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