सागरPublished: Aug 19, 2019 08:56:45 pm
anuj hazari
प्रशासन की अनदेखी से हर वर्ष बढ़े स्तर पर बेची जाती हैं प्रतिमा
POP statues are being erected even after the ban
बीना. प्रतिबंध के बाद भी पीओपी(प्लास्टर ऑफ पेरिस) से गणेश जी की प्रतिमा बनाने का काम बड़े स्तर पर चल रहा है। इसके बाद भी प्रशासन द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है और बाजार में कई जगहों पर प्रतिमा बेचने के लिए भी लाई जा चुकी हैं। शहर में कई जगहों पर प्रतिमा बनाने का काम किया जा रहा है ऐसा नहीं कि इसकी भनक प्रशासन के लिए नहीं हैं, लेकिन फिर भी कार्रवाई करने में प्रशासन के हाथ पांव फूल रहे हैं। पीओपी की छोटी प्रतिमाएं तो बाजार में बिकने के लिए आ चुकी हैं तो वहीं बड़ी प्रतिमाएं सांचे में ढालकर रंग करने के लिए तैयार हैं। जबकि इन रंगों व पीओपी से बनी प्रतिमाओं से पर्यावरण प्रदूषण होता है। जिसपर प्रशासन की ओर से पूरी तरह से प्रतिबंध भी लगा है। ऐसा करने वालों पर यदि प्रशासन सख्ती दिखाकर कार्रवाई कर दे तो पीओपी की प्रतिमा बनाने पर रोक लगाई जा सकती है। चूंकि मिट्टी से बनी प्रतिमाओं को बनाने में ज्यादा लागत आती है जिनके बाजार में आते-आते दाम और बढ़ जाते हैं और लोग उन्हें ले नहीं पाते हैं। इस कारण ही पीओपी से प्रतिमा बनाकर लोग बाजार में बेचने के लिए ला रहे हैं।
विसर्जन के बाद उतराती रहती हैं प्रतिमाएं
पीओपी की प्रतिमाओं को जब नदी में विसर्जित किया जाता है तो वह पानी में ज्यों की त्यों उतराती रहती हैं। जिसके कारण पानी भी प्रदूषित होता है और वह पानी में घुलती नहीं हैं। जिसके बाद उन्हें जस की तस हालत में बाहर निकाल दिया जाता है, जबकि ऐसा नहीं किया जाना चाहिए।
अशुद्ध होती हंै प्लास्टर ऑफ पेरिस की प्रतिमाएं
पं. देवशंकर दुबे ने पीओपी की प्रतिमाएं न बनाने के पीछे धार्मिक मत बताते हुए कहा कि पीओपी अशुद्ध होता है जिससे बनी प्रतिमाओं से पुण्य नहीं बल्कि पाप लगता है। कोई प्रतिमा केवल मिट्टी, पत्थर या धातु से बनी होने पर ही शुद्ध मानी जाती है। इसलिए पीओपी से बनी प्रतिमाओं को विराजमान न किया जाए।
जांच दल बनाकर करेंगे कार्रवाई
शहर में यदि प्लास्टर ऑफ पेरिस की प्रतिमाएं बनाकर बेचने के लिए लाई जा रही है तो जांच दल बनाकर ऐसा करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
प्रशांत अग्रवाल, तहसीलदार, बीना