विवि के दल ने किया निरीक्षण
सागर
Published: August 03, 2022 09:16:06 pm
बीना. शहर के विद्यार्थियों को पीएचडी करने के लिए दूसरे शहरों में जाना पड़ता है, लेकिन जल्द ही सात विषयों में यह सुविधा शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में मिल सकती है। इसके लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है और महाराजा छत्रसाल बुंदलेखंड विवि छतरपुर के दल ने भी महाविद्यालय का निरीक्षण कर लिया है। मिली जानकारी के अनुसार महाविद्यालय में एमए इतिहास, एमए राजनीतिशास्त्र, एमए अर्थशास्त्र, एमएससी प्राणीशास्त्र, एमएससी रसायनशास्त्र, एमएससी वनस्पति शास्त्र और एमकॉम सहित सात विषयों में शोध केंद्र की स्थापना की तैयारियां चल रही हैं और सबकुछ ठीक रहा, तो जल्द इसको हरी झंडी भी मिल सकती है। छतरपुर विवि से आए निरीक्षण दल के संयोजक डॉ. जेपी शाक्य छतरपुर, डॉ. बीएस परमार छतरपुर, ओएसडी उच्च शिक्षा सागर डॉ. भावना यादव, प्राचार्य डॉ. इला तिवारी, डॉ. इमराना सिद्दीकी, डॉ. नवीन गिडियन, डॉ. आनंद तिवारी सागर, डॉ. केके गंगेले और डॉ. सीएल प्रजापति छतरपुर ने महाविद्यालय में उपलब्ध सुविधाओं, स्टाफ, संसाधान की जानकारी ली। दल संयोजक ने बताया कि शोध का उपयोग मानव कल्याण के लिए हो, वर्ष 1964 में स्थापित शासकीय पीजी कॉलेज बीना विकास की ओर निरंतर अग्रसर है। डॉ. परमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, इससे विद्यार्थियों को शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में आगे बढऩे के नए अवसर प्राप्त होंगे तथा विद्यार्थियों को रोजगार एवं स्वरोजगार के क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं। इस अवसर पर शोध केंद्र के संयोजक डॉ. मुकेश कुमार निरंजन, डॉ. एके जैन, डॉ. व्हीके अग्निहोत्री, डॉ. ऊषा तिवारी, डॉ. नमीता अग्निहोत्री उपस्थित थे।
महाविद्यालय में उपलब्ध हैं यह सुविधाएं
स्नातकोत्तर महाविद्यालय में शोध के लिए पर्याप्त स्टाफ है और संसाधन भी हैं, जिसमें अत्याधुनिक लैब उपलब्ध है और विज्ञान भवन, वाणिज्य भवन का निर्माण चल रहा है। महाविद्यालय के पास पर्याप्त भवन हैं। साथ ही राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी भी आयोजित हो चुकी हैं।
महाविद्यालय की उपलब्ध्यिों को बताया
करीब चार माह पहले महाविद्यालय में शोध केन्द्र शुरू करने के लिए छतरपुुर विवि को पत्र भेजा गया था और मंगलवार को विवि से आए दल ने निरीक्षण किया है। विभिन्न विभागाध्यक्ष द्वारा निरीक्षण दल को विभाग की अकादमिक उपलब्धियों, संचालित गतिविधियों से अवगत कराया गया है। यदि शोध केन्द्र की अनुमति मिलती है, तो यह बड़ी सौगात होगी।
डॉ. एमएल सोनी, प्राचार्य, शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बीना
अगली खबर
सबसे लोकप्रिय
शानदार खबरें
Newsletters
Follow Us
Download Partika Apps
Group Sites
Top Categories
Trending Topics
Trending Stories
बड़ी खबरें