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एमआर बुक चोरी करके लगवा दिए मीटर, उपभोक्ताओं से एेंठे हजारों रुपए, केस दर्ज

locationसागरPublished: Aug 22, 2018 02:19:54 pm

Submitted by:

sunil lakhera

बिजली कंपनी कार्यालय के बाहर 10 साल से लगा रहा था चाय का ठेला कंपनी के चुराए रसीद कट्टे से लोगों से वसूलता था हजारों रुपए दस्तावेज के सीरियल नंबर से सामने आया फर्जीवाड़ा

एमआर बुक चोरी करके लगवा दिए मीटर, उपभोक्ताओं से एेंठे हजारों रुपए, केस दर्ज

एमआर बुक चोरी करके लगवा दिए मीटर, उपभोक्ताओं से एेंठे हजारों रुपए, केस दर्ज

सागर. रुपयों का लालच व्यक्ति से कुछ भी गलत काम करा सकता है। इसका प्रमाण है, बिजली कंपनी के बाहर चाय का ठेला लगाने वाला युवक विपिन आठिया। करीब 10 साल कंपनी के अधिकारी-कर्मचारियों को चाय पिलाकर उनका करीबी बने युवक ने फर्जीवाड़े की शुरूआत भी कंपनी को चूना लगाकर ही की।
कंपनी कार्यालय में कहीं भी आने-जाने का फायदा उठाकर उसने पहले तो एमआर बुक (मनी रिसीव्ड बुक) चोरी की और फिर शुरू किया लोगों से ठगी का सिलसिला। विपिन ने फर्जी रसीद कट्टे की दम पर शहर के दो
दर्जनों लोगों के घर बिजली मीटर लगवा दिए, लेकिन एक छोटी सी गलती ने फर्जीवाड़ा सामने ला दिया। जिसके बाद बिजली कंपनी के अधिकारियों ने युवक के खिलाफ गोपालगंज थाने में एफआइआर दर्ज कराई है।
एेसे करता था ठगी
बिजली कंपनी से मिली जानकारी के अनुसार कंपनी में मीटर लगवाने के लिए उपभोक्ता को सुरक्षा निधि के साथ कुछ अन्य शुल्क भी जमा करने होते हैं, इसके अलावा भी कंपनी में उपभोक्ताओं से ली जाने वाली राशि के बदले उन्हें पावती के रूप में एमआर की एक कॉपी उपलब्ध कराई जाती है। इस रसीद कट्टे में 400 रसीद होती हैं। इसकी जानकारी विपिन को भी थी, इसलिए उसने वही रसीद कट्टा चोरी किया जिसके सहारे वो बिना किसी की नजर में आए लोगों से रुपए वसूल सके। इसके बाद विपिन ने लोगों से मीटर लगवाने, लाइन शिफ्टिंग सहित अन्य कामों की दलाली शुरू कर दी। विपिन के इस चंगुल में लोग फंसने भी लगे। प्राथमिक तौर पर कंपनी द्वारा की गई जांच में करीब २० लोग सामने आए हैं, जिनसे विपिन करीब 70 हजार रुपए एेंठ चुका है।
ऐसे हुआ खुलासा
इस फर्जीवाड़े का खुलासा रसीद के सीरियल नंबर ने कर दिया। विपिन ने लोगों को जिस रसीद कट्टे से फर्जी पावती दी थीं, उसका नंबर और वर्तमान में कंपनी द्वारा जारी किए गए रसीद कट्टे के नंबर में लंबा अंतर आया। इसके बाद कंपनी के लोगों ने कुछ उपभोक्ताओं के घर जाकर पूछताछ की तो पता चला कि उन्होंने चाय वाले विपिन आठिया को राशि दी थी, जिसके बदले उन्हें पावती भी दी गई, लेकिन विपिन यह राशि कंपनी के खाते में जमा करने की जगह खुद ही डकार जाता था। इतना ही नहीं १० साल से बिजली कंपनी के लोगों से जुड़े होने के कारण वह प्राइवेट ठेकेदार से ओके रिपोर्ट भी कंपनी में सब्मिट करता चला आ रहा है।

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