जल्द शुरू हो सकता है विस्थापन
मंडी बोर्ड के सचिव डीसी लडिया ने बताया कि शनिवार को व्यवस्था दुरुस्त करने को लेकर यह कार्रवाई की गई है। शहर विधायक शैलेंद्र जैन से बात चल रही है। यह संभावना है कि जल्द ही मंडी परिसर में शहर के फुटकर फल-सब्जी विक्रेताओं का विस्थापन शुरू कर दिया जाएगा।
भावांतर योजना: संभाग में महज १० हजार किसानों ने कराए पंजीयन
सागर. मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना के तहत संभाग के पांचों जिलों में अब तक महज १० हजार किसानों ने ही पंजीयन कराया है। सर्वाधिक पंजीयन चना फसल के लिए व सबसे कम प्याज के पंजीयन हुए हैं। पंजीयन की अंतिम तिथि १२ मार्च है। इसको लेकर संभागायुक्त आशुतोष अवस्थी ने योजना की समीक्षा करने के बाद चिंता जताते हुए संभाग के पांचों जिले के कलेक्टर को उक्त कार्य को गंभीरता से लेने के आदेश दिए हैं।
भावांतर भुगतान योजना वर्ष 2018-19 समीक्षा में संभागीय खाद्य नियंत्रक ने बताया कि संभाग के पांच जिलों में अब तक मुख्यमंत्री रबी भावांतर भुगतान योजना के तहत 10 हजार से अधिक किसानों ने नया पंजीयन कराया है। चना फसल के लिए 8 हजार 624, सरसों 649, प्याज 86, तथा मसूर की फसल के लिए 2928 किसानों ने पंजीयन कराया है। कमिश्नर अवस्थी ने राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित की गई सभी फसलों के बोए गए रकबे एवं किसानों की संख्या के मद्देनजर अत्यंत कम पंजीयन पर चिंता जाहिर की। उन्होंने सभी कलेक्टर्स को इस कार्य पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पंजीयन की अंतिम तिथि 12 मार्च है, इससे पहले अधिसूचित फसलों का शत-प्रतिशत पंजीयन व सत्यापन कार्य पूर्ण कर लिया जाए।
संगोष्ठी: बढ़ती लागत ही कृषि की मुख्य समस्या: कुलपति
सागर. कृषि क्षेत्र में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को विकसित करने तथा कृषि लागत को कम करने संबंधी अनुसंधान करने जरूरत है। कृषि की प्रमुख समस्या कृषि की बढ़ती लागत ही है।
यह बात डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विवि के कुलपति प्रो. आरपी तिवारी ने कही। वह शनिवार को अर्थशास्त्र विभाग में मप्र आर्थिक परिषद के 28वें अधिवेशन एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे। इस मौके पर पूर्व कुलपति प्रो. एडीएन वाजपेयी मुख्य अतिथी थे। शुभारंभ सत्र में विभागाध्यक्ष एवं स्थानीय सचिव प्रो. जीएम दुबे ने मप्र आर्थिक परिषद के आमंत्रित अतिथियों का स्वागत भाषण प्रस्तुत किया व राष्ट्रीय सेमिनार की रूपरेखा से अवगत कराया। डॉ. जीआर गांगले सचिव का संक्षिप्त परिचय दिया। प्रो. कन्हैया आहूजा ने देश- विदेश से प्राप्त शोध पत्रों में से चयनित शोध पत्रों को पत्रिका के रूप में प्रस्तुत किया। प्रो. गणेश कावडिया ने पर्यावरणीय समपोषणीय तथा कुशल क्षेत्र का अर्थशास्त्र विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि एडम स्मिथ से लेकर अब तक किस तरह अर्थशास्त्र परिवर्तन होता रहा है। तत्कालिक समस्याओं को देखते हुए एक नए अर्थशास्त्र की आवश्यकता महसूस की जा रही है। साथ ही नील माक्र्स के हैप्पीनेस इंडेक्स के माध्यम से बताया कि किस तरह खुशी एवं विकास में विरोधाभास है।